प्रदेश के हिंदी प्रवक्ताओं की क्षमताओं का होगा संवर्धन,एससीईआरटी सोलन में दिया जा रहा प्रशिक्षण
हिमाचल प्रदेश में हिन्दी प्रवक्ताओं की क्षमताओं का संवर्धन किया जा रहा है ताकि स्कूल एजूकेशन को और अधिक मजबूती प्रदान की जाए। इसी कड़ी में एससीईआरटी सोलन में हिंदी प्रवक्ताओं के लिए 6 दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 13-02-2024
हिमाचल प्रदेश में हिन्दी प्रवक्ताओं की क्षमताओं का संवर्धन किया जा रहा है ताकि स्कूल एजूकेशन को और अधिक मजबूती प्रदान की जाए। इसी कड़ी में एससीईआरटी सोलन में हिंदी प्रवक्ताओं के लिए 6 दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसका शुभारंभ एससीईआरटी के प्रिंसिपल प्रोफेसर हेमंत कुमार ने किया।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. राम गोपाल शर्मा ने बताया कि इसमें बिलासपुर, किन्नौर, शिमला, सिरमौर, सोलन व ऊना जिलों के 40 हिंदी प्रवक्ता भाग ले रहे हैं। एससीईआरटी सोलन समय-समय पर हिंदी व अन्य विषयों में सेवारत्त प्रवक्ताओं के लिए उनके प्रोफेशनल डेवलपमेंट के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करती है। इससे कि उस विषय में नवीनतम शोध और इससे जुड़े आयामों का पता चल सकें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 शिक्षकों के निरंतर व्यवसायिक विकास की बात करती है। शैक्षिक परिदृश्य के बदलते स्वरूपों के साथ तालमेल बैठाना आज के प्रतिस्पर्धी समय में जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
डॉ.बलदेव ठाकुर ने हिंदी साहित्य का इतिहास, आदि काल एवं भक्तिकाल के विशेष संदर्भ में, डॉ. अशोक गौतम ने साहित्य और सृजनशीलता : विचार और प्रक्रिया, प्रकाशन और वैविध्य : वर्तमान परिदृश्य पर विस्तार से जानकारी दी। साहित्य,संस्कृति तथा भारतीय ज्ञान परम्परा : विविध आयाम एवं रचना धर्मिता में इसका समावेश-डॉ.ओम प्रकाश शर्मा और लोक साहित्य : हिमाचल विशेष के संदर्भ में डॉ.हेमा ठाकुर ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।
डॉ.शर्मा ने गुरू की भूमिका पर डाला प्रकाश
डॉ. ओमप्रकाश शर्मा ने मंगलवार को पहले सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा और लेखन धर्मिता के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने वेदों, उपनिषदों से भारतीय ज्ञान परंपरा को किस प्रकार नई शिक्षा नीति में समाहित किया गया है ताकि छात्रों के उर्वर मस्तिष्क भारतीय शिक्षा विचारों का समावेश हो। उन्होंने साथ ही नई शिक्षा नीति में गुरू की भूमिका, मातृभाषा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि हिमाचल में पांच लीपियां हैं। इनमें टांकरी, भटासरी, पाबुची, पंडवानी,चंदवानी शामिल हैं। लिपि देवनागरी रखो और स्थानीय भाषाओं में सृजन कार्य करते रहो। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020में बहुभाषिकता के महत्व को व्यवहारिक दृष्टांतों और उदाहरणों के माध्यम से समझाते हुए बताया कि किस तरह से हम प्रदेश की उपबोलियों के माध्यम से छात्रों को विषय पढ़ा सकते हैं।
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