शिमला में दो चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता पिता को करवाया दत्तक ग्रहण
हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों के कारण चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को भावी माता पिता के दत्तक ग्रहण करवाने में सफलता हासिल हो रही है। शिशु गृह टूटीकंडी शिमला में दो चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को उनके भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने करवाया
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यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 16-02-2025
हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों के कारण चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को भावी माता पिता के दत्तक ग्रहण करवाने में सफलता हासिल हो रही है। शिशु गृह टूटीकंडी शिमला में दो चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को उनके भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने करवाया है। एक चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को उत्तराखंड के दंपति ने गोद लिया है। वहीं दूसरे को उत्तर प्रदेश के दंपति ने गोद लिया है। प्रदेश सरकार के सार्थक प्रयासों से बच्चों के नवजीवन को आकार मिल रहा है।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने समाज के समृद्ध लोगों से अपील की है कि वे शिशु गृह और आश्रमों में पल रहे किशोर बच्चों को अपनाने के लिए आगे आएं ताकि इन बच्चों का सुखद और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समाज के कमजोर व गरीब वर्गों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य में 4000 असहाय बच्चों की अब प्रदेश सरकार ही माता और सरकार ही पिता है।
इन बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है। वर्तमान सरकार ने इन बच्चों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना आरंभ की है। इस समय जिला में 13 बाल-बालिका संस्थान चलाए जा रहे हैं। उपायुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि इन बच्चों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है तथा मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष प्रदेश सरकार के इन प्रयासों की दिशा में एक और सार्थक पहल है।
इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा व दिव्यांग अभिभावकों के 0-27 वर्ष के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण के लिए इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना भी आरंभ की गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी शिमला ममता पॉल ने जानकारी देते हुए बताया कि बच्चा गोद लेने के लिए जिन माता पिता ने आवेदन किया होता है, उन्हें मेरिट के आधार पर दत्तक ग्रहण करवाया जाता है।
भारत में भारतीय नागरिक, एनआरआई और विदेशी नागरिक हर कोई बच्चे को गोद ले सकता है। लेकिन उसके लिए सबसे पहले उन्हें केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा बनाए गए नियमों को पूरा करना जरूरी है।
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