अमीरों के ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ा रही आदिवासी मजदूर की बेटी वनिता की कलाकृतियां  

आदिवासी मजदूर माता-पिता ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी चार संतानों में से एक बेटी कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएगी। गरीबी और अभावों का वातावरण वनिता के सामने बड़ी चुनौती था। शिमला के एक कारोबारी के पास घरेलू सहायिका के रूप में कार्यरत यह बेटी अब अपने सपनों में रंग भर रही

Jan 24, 2025 - 13:28
 0  17
अमीरों के ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ा रही आदिवासी मजदूर की बेटी वनिता की कलाकृतियां  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला      24-01-2025

आदिवासी मजदूर माता-पिता ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी चार संतानों में से एक बेटी कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएगी। गरीबी और अभावों का वातावरण वनिता के सामने बड़ी चुनौती था। शिमला के एक कारोबारी के पास घरेलू सहायिका के रूप में कार्यरत यह बेटी अब अपने सपनों में रंग भर रही है। उसकी बनाई पेंटिंग एवं अन्य कलाकृतियां अमीर लोगों के ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ा रही हैं। 

झारखंड के गुमला जिले के गांव चुहरू के पुजार उरांव और राजकुमारी देवी की बेटी वनिता ने शिमला में ही होश संभाला क्योंकि वर्षो पूर्व उसके माता-पिता मजदूरी के लिए यहां आ गए थे। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, ब्यूलिया से उसने 12वीं की परीक्षा पास की। बचपन से ही उसे चित्रकारी का शौक था। लेकिन महंगे रंग एवं अन्य सामग्री खरीद पाना उसके लिए संभव नहीं था। 

वह पढ़ाई जारी नहीं रख सकी और किसी के घर में काम करने लगी। कोरोना के दौर में उसे शहर के कारोबारी पंकज मल्होत्रा के घर में काम करने का मौका मिला। इस परिवार ने उसकी कला की प्रतिभा को पहचान और प्रोत्साहन देना शुरू किया। घरेलू काम से फुर्सत मिलने के बाद वनिता पेंटिंग बनाती। बिहार की मधुबनी पेंटिंग, गुजरात व राजस्थान की लिप्पन आर्ट, और तिब्बत की मंडला आर्ट भी उसकी पसंद का विषय बनी।

वनिता पंवार ने कहा कि पेंटिंग एवं अन्य कलाएं आमतौर पर उन लोगों का शौक होती हैं जिन परिवारों में गरीबी नहीं होती। एक मजदूर का परिवार तो सिर्फ दो वक्त की रोटी जुटाने के संघर्ष में लगा रहता है। मल्होत्रा परिवार ने मुझे अपने सपनों में रंग भरने का मौका दिया। मैं घरेलू काम करने के बाद अपना पूरा समय कला के शौक को देती हूँ। 

पेंटिंग, लिप्पन और मंडला कलाकृतियों के अलावा वह कप एवं कॉफी मग पर खूबसूरत चित्रकारी करती है। लोग उसके बनाए बुकमार्क, मिरर फ्रेम और दूसरे हैंगिंग आइटम्स भी काफी पसंद करते हैं। लोअर पंथाघाटी में एचएफआरआई के पास सड़क के किनारे पंकज मल्होत्रा की कोठी के परिसर में शाम को 2 घंटे वह अपनी कलाकृतियां सजाती है। वहां से आते जाते लोग उसकी कलाकृतियां खरीद लेते हैं। 

कुछ आर्डर उसे इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया के माध्यम से भी मिल जाते हैं। भविष्य में वह शिमला में अपनी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाना चाहती है और ई-कॉमर्स के जरिए भी देश विदेश में उनकी बिक्री उसके एजेंडे में है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow