उपायुक्त शिमला ने गोद लिए मशोबरा स्कूल के हर बच्चे को दी दो पुस्तकें 

राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा में उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने आज 254 बच्चों को दो-दो किताबें वितरित की। द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत उपायुक्त अनुपम कश्यप ने राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा को गोद लिया है। उपायुक्त ने (Letters From A Father To His Daughter) और "विंग्स ऑफ़ फायर" पुस्तकें स्कूल के सभी बच्चों को दी। उपायुक्त ने कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत को विकसित करना है

Oct 17, 2025 - 16:20
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उपायुक्त शिमला ने गोद लिए मशोबरा स्कूल के हर बच्चे को दी दो पुस्तकें 
 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  17-10-2025

राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा में उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने आज 254 बच्चों को दो-दो किताबें वितरित की। द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत उपायुक्त अनुपम कश्यप ने राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा को गोद लिया है। उपायुक्त ने (Letters From A Father To His Daughter) और "विंग्स ऑफ़ फायर" पुस्तकें स्कूल के सभी बच्चों को दी। उपायुक्त ने कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत को विकसित करना है। इसके साथ हम इस स्कूल में इन सभी बच्चों पर रिसर्च भी करेंगे कि इन दोनों किताबों को पढ़ने के बाद व्यवहार और सोच के क्या-क्या परिवर्तन आए हैं। इसके लिए स्काई हाई ड्रीम संस्था काम करेगी। 
उन्होंने कहा कि दोनों ही किताबें ज्ञान की दृष्टि से बेहद जरूरी है। बच्चों को इन किताबों को अवश्य पढ़ना चाहिए। आज मोबाइल के दौर में बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे है। जो किताबें पढ़कर ध्यान केंद्रित होता है और ज्ञान अर्जित होता है, उसकी तुलना कभी मोबाइल से नहीं की जा सकती है। इससे पहले उपायुक्त द्वारा मशोबरा स्कूल में 260 बच्चों को इंग्लिश टू हिंदी डिक्शनरी दी गई थी। इसके अलावा 10 डिक्शनरी स्कूल की लाइब्रेरी में भी रखी गई थी। इसका सारा खर्च उपायुक्त ने अपने निजी वेतन से ही दिया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद के एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था। नेहरू की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई घर पर ही हुई और 15 साल की उम्र में वह वकालत की पढ़ाई करने लंदन चले गए। 1912 में भारत वापिस लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। नेहरू को स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ, जिस पद का दायित्व उन्होंने 17 सालों तक निभाया। 
जवाहरलाल नेहरू की रुचि लेखन में शुरू से ही थी। विंग्स ऑफ़ फ़ायर" भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की एक प्रेरक आत्मकथा है। डॉ. कलाम ने अंकित तिवारी के साथ मिलकर एक युवा बालक और विकासशील भारत की यात्रा को लिखा है। अगर आप श्री कलाम के जीवन के सबक पढ़ने में रुचि रखते हैं, तो आपको 'विंग्स ऑफ़ फायर' पुस्तक की समीक्षा अवश्य पढ़नी चाहिए, जो इसमें उपलब्ध है। यह पुस्तक अत्यंत प्रभावशाली और प्रभावोत्पादक है। 1999 में प्रकाशित, 'विंग्स ऑफ़ फ़ायर' और 'इंडिया 2020: अ विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम' बेहद लोकप्रिय हुईं। 
यह पुस्तक डॉ कलाम के जीवन के हर महत्वपूर्ण पहलू से जुड़ी है। यह पुस्तक हमें डॉ कलाम द्वारा सफलता का स्वाद चखने से पहले झेले गए उतार-चढ़ावों से रूबरू कराती है। इसमें नैतिक शिक्षाएँ भी शामिल हैं जिन्हें हमें अपने जीवन में अपनानी चाहिए। इसमें शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक दोनों तरह के पाठकों के लिए कुछ न कुछ है। 'विंग्स ऑफ फायर' चार खंडों में विभाजित है - अभिविन्यास , सृजन, प्रायश्चित और चिंतन। यह विभाजित खंड पाठक को पाठ को आसानी से समझने में मदद करते हैं।

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