दिल और दिमाग को स्वस्थ रखने में लाभकारी होगा बकरी के दूध से बना पनीर 

बकरी के औषधीय दूध से हिमाचल में जल्द फेटा चीज यानी पनीर बनाने की तैयारी चल रही है। पशुपालन विभाग ऊना प्रदेश में पहली बार बकरी के दूध से फेटा चीज तैयार करने के लिए प्रयोग

Jul 29, 2023 - 16:05
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दिल और दिमाग को स्वस्थ रखने में लाभकारी होगा बकरी के दूध से बना पनीर 

यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना     29-07-2023

बकरी के औषधीय दूध से हिमाचल में जल्द फेटा चीज यानी पनीर बनाने की तैयारी चल रही है। पशुपालन विभाग ऊना प्रदेश में पहली बार बकरी के दूध से फेटा चीज तैयार करने के लिए प्रयोग कर रहा है। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा रहती है। यह दिल और दिमाग को स्वस्थ रखने में लाभकारी माना जाता है। 

प्रयोग सफल होने पर प्रदेशभर में इच्छुक लोगों को इसे तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पशुपालकों के लिए आय का शानदार स्रोत साबित होगा।
जानकारी के अनुसार प्रदेशभर में पशुपालक करीब 12 लाख बकरियों का पालन कर रहे हैं। इनमें से ऊना में 12,000 बकरियां पाली गई हैं, लेकिन बकरी के दूध की बिक्री को बाजार में अधिक स्थान नहीं मिल पाया। 

जबकि इसमें औषधीय गुणों की भरमार रहती है। हालांकि डेंगू, क्षय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में बकरी के दूध की काफी मांग रहती है। वहीं विदेश में भी फेटा चीज से तैयार होने वाले सलाद और अन्य उत्पादों की खपत काफी अधिक है।

अब पशुपालन विभाग ने बकरी के दूध को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए फेटा चीज तैयार करने की योजना बनाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि फेटा चीज तैयार करने के लिए एक महीने का समय लग जाता है, लेकिन बाजार में इसकी कीमत सामान्य पनीर से काफी अधिक है। 

2,500 से लेकर 3,000 रुपये प्रतिकिलो बिकने वाले फेटा चीज का इस्तेमाल स्लाद, पिज्जा, टोस्ट, प्रोटीन के उत्पादों में होता है। अमीनो एसिड दिमाग करेगा मजबूतबताया जा रहा है कि बकरी से दूध में अमीनो एसिड की भरमार होती है। यह दिमाग को मजबूत करने में बेहद लाभकारी होता है। इस दूध में शॉर्ट चेन फैटी एसिड पाए जाते हैं, इससे दिल का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

प्रदेशभर में बकरी पालकों को बाजार से बेहतर आय के साधन जुटाने के प्रयास जारी हैं। खासकर ऊना जिले में बकरी पालन के लिए भौगोलिक परिस्थितियां बेहद अनुकूल हैं। बकरी के दूध को अगर लोग दैनिक आहार में शामिल करें, तो कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। बाजार में उपयुक्त इस दूध को जगह दिलाने के लिए परीक्षण जारी है।-डॉ. उपिंदर कुमार, सहायक निदेशक, जिला पशुपालन विभाग।

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