यूं ही उठा रखी है हमने दुनिया भर की चिंताएं , कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां

भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा कवि गोष्ठी व जिला चंबा की लोक संस्कृति के विविध आयामों पर परिचर्चा विषय पर राजकीय महाविद्यालय चुवाड़ी में आयोजन किया गया। परिचर्चा का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया। इस दौरान जिला भाषा अधिकारी चम्बा तुकेश शर्मा ने सभी साहित्यकारों का स्वागत एवं अभिनंदन किया तथा भाषा के विकास को आदि काल से आधुनिक काल तक हुए विकास क्रम पर विस्तार से वर्णन किया

Nov 27, 2023 - 18:59
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यूं ही उठा रखी है हमने दुनिया भर की चिंताएं , कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां
 
यंगवार्ता न्यूज़ - चंबा  27-11-2023
भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा कवि गोष्ठी व जिला चंबा की लोक संस्कृति के विविध आयामों पर परिचर्चा विषय पर राजकीय महाविद्यालय चुवाड़ी में आयोजन किया गया। परिचर्चा का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया। इस दौरान जिला भाषा अधिकारी चम्बा तुकेश शर्मा ने सभी साहित्यकारों का स्वागत एवं अभिनंदन किया तथा भाषा के विकास को आदि काल से आधुनिक काल तक हुए विकास क्रम पर विस्तार से वर्णन किया। परिचर्चा में सहायक आचार्य हिंदी सोनू कुमार भारती, ने महाविद्यालय की और से सभी का स्वागत किया तथा साहित्य के आदिकाल से आधुनिक काल तक साहित्यकारों ने किस तरह अपनी कलम से सींचा उसका बखूबी वर्णन किया। इसकी अतिरिक्त वरिष्ठ साहित्यकार उत्तम चंद कौशल संस्कृति तथा बहल ने प्रकृति नामक अपनी रचनाओं का वाचन किया l 
जिला चम्बा के प्रसिद्ध लोक गायक पीयूष राज ने जिला चम्बा की लोक संस्कृति के विविध आयामों विषय में कुंजड़ी मल्हार, मुसादा गायन, ऐंचली गायन, फ़ाटेडू गीतों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त उन्होंने जिला चम्बा के पारम्परिक लोक गायन तथा साहित्यकार खेम राज गुप्त द्वारा लिखे प्रसिद्ध लोक गीत "सांय-सांय मत कर राविये" को विस्तार रूप में परिभाषित किया l इन्होंने जिला चम्बा के ऐतिहासिक गीतों में माये नी मेरिये जमुए दी राहें चम्बा कितनी की दूर,रुत संगडोड़ी हो, बसोआ, गुड़क चमक बहुआ मेघा, राजा तेरे गोर्खियों, आया ता आया जीन्दे बंजारा हो जैसे कई ऐतिहासिक गानों का वर्णन किया l संगीत को किस तरह से अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया उस पर भी विस्तार रूप में प्रकाश डाला I जगजीत आजाद ने अपनी गज़ल धीरे धीरे नींव से नाता तोड़ रही हैं सब दीवारें। 
पत्थर सारे बिखर रहे हैं ऐसे में हम किसको पुकारें से कवि सम्मेलन में चार चांद लगाए l इस अवसर पर साहित्यकार प्रभात सिंह राणा ने डफली वाले डफली बजा गाने को ऐंचली गायन, मुसादा गायन, कविता पांच विधाओं में लय बद्ध करके सुनाया l अजय यादव तथा सुभाष साहिल जिन्हें शक था कि दुनिया उनके बिन आबाद भी होगी। नहीं लगता उस शख्स की यहां अब याद भी होगी। यूं ही उठा रखी है हमने दुनिया भर की चिंताएं। यही रफ़्तार दुनिया की हमारे बाद भी होगी l गज़ल से वाह वाही से श्रोताओं को रसास्वादन करवाया l वहीं भूपेंद्र सिंह जसरोटिया, एमआर भाटिया, महाराज सिंह परदेसी, शाम अजनबी, युद्धवीर टण्डन ने पहाड़ी बोली में हास्य व्यंग्य परक कविताओं का वाचन किया l विमला देवी तथा उत्तम सूर्यवंशी ने बेटी पर अपनी कविताओं को श्रोताओं के समक्ष रखा l 
विनोद कुमार ने संविधान पर अपनी कविता पढ़ी व तपेश पुजारी ने चंद्र धर शर्मा गुलेरी की उसने कहा था। कहानी की सारगर्भिता तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कहानी को अपने शब्दों में कविता के रूप में वाचन किया l अनूप आर्या ने पिता नामक कविता से एक पिता का अपने परिवार के लिए त्याग और बलिदान पर प्रकाश डाला l सुरेश कुमार, अभिषेक कुमार, पारुल, दिनेश कुमार, विकास गुप्ता,रूप लाल आदि साहित्यकार तथा नवोदित कवियों ने अपनी रचनाएं एवं शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत के योगदान पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा की गई l कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ साहित्यकार जगजीत आजाद ने किया l इस कार्यक्रम में महाविद्यालय, चुवाड़ी के शिक्षक तथा कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

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