रोजाना 20 किलोमीटर पैदल सफ़र कर सरकारी स्कूल में पढ़ाई करके बीपीएल परिवार की बेटी ने प्रदेश में झटका 8वाँ स्थान

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में सिरमौर जिले के दूरदराज ट्रांसगिरी क्षेत्र के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली एक होनहार बेटी ने प्रदेश के टॉप 10 मेधावी विद्यार्थियों में अपना स्थान बनाया है। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शिलाई में अध्ययनरत बेला गांव की नेहा ने 500 में से 480 अंक प्राप्त कर कला संकाय में प्रदेश भर में 8वां स्थान प्राप्त किया

Apr 30, 2024 - 19:33
Apr 30, 2024 - 20:05
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रोजाना 20 किलोमीटर पैदल सफ़र कर सरकारी स्कूल में पढ़ाई करके बीपीएल परिवार की बेटी ने प्रदेश में झटका 8वाँ स्थान

यंगवार्ता न्यूज़ - शिलाई
   30-04-2024

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में सिरमौर जिले के दूरदराज ट्रांसगिरी क्षेत्र के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली एक होनहार बेटी ने प्रदेश के टॉप 10 मेधावी विद्यार्थियों में अपना स्थान बनाया है। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शिलाई में अध्ययनरत बेला गांव की नेहा ने 500 में से 480 अंक प्राप्त कर कला संकाय में प्रदेश भर में 8वां स्थान प्राप्त किया है। गरीबी रेखा से नीचे ( बीपीएल ) परिवार से संबंध रखने वाली बेला गांव की नेहा शिक्षा प्राप्त करने के लिए रोजाना घर से स्कूल और फिर स्कूल से घर 20 किलोमीटर का सफर पैदल तय करती थी। 
नेहा के चाचा नरेश वर्मा ने ये जानकारी साझा करते हुए बताया की कड़ाके की सर्दी में बच्ची सुबह साढ़े पांच बजे अकेले घर से निकलकर मौसम की विपरीत परिस्थितियों में जंगल के रास्तों से होते हुए सुबह नौ बजे तक स्कूल पहुंच जाती थी। करीब छह साल पहले नेहा के पिता टीकम सिंह की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। उस समय वह छठी कक्षा में पढ़ती थी। जिसके बाद नेहा की मां कमला देवी ने 2 बेटों और 3 बेटियों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाई। कमला देवी खेतों में काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं और तमाम चुनौतियों के बावजूद उन्होंने पांचों बच्चों की पढ़ाई जारी रखी है। 
नेहा की बड़ी बहन निकिता कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा है, छोटा भाई अमन 12वीं, श्रुति 10वीं और सुनील 8वीं में पढ़ता है। नेहा की बड़ी बहन निकिता ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के बावजूद उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी और सभी भाई-बहनों को पढ़ने के लिए भेजा। सभी भाई-बहन स्कूल और कॉलेज से घर लौटने के बाद सेल्फ स्टडी करते हैं और एक-दूसरे की पढ़ाई में मदद करते हैं। इसके अलावा खाली समय और छुट्टियों में वे घर और खेती के कामों में मां की मदद करते हैं। 
नेहा ने बताया कि पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उन्हें सबसे ज्यादा उनकी मां ने ही प्रेरित किया है। परीक्षाओं के समय मां सभी बच्चों को पढ़ाई करती थी और घर और खेती का सारा काम खुद ही संभालती थीं। नेहा ने बताया कि वह बड़ी होकर शिक्षिका बनना चाहती हैं ताकि अपने जैसे दूरदराज के इलाकों के बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां, परिवार और स्कूल के शिक्षकों को दिया।

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