सरकार और क्रस्ना लैब के बीच विवाद के चलते स्वास्थ्य विभाग ने टेस्ट करवाने के नए नियम किए लागू पढ़िए 

राज्य सरकार और क्रस्ना लैब के बीच चले विवाद के बीच स्वास्थ्य विभाग ने टेस्ट करवाने के नए नियम लागू कर दिए हैं। अब क्रस्ना लैब में होने वाले टेस्ट बिना पेथोलॉजी टेस्ट रिक्यूजिशन फार्म (पीटीआरएफ ) के नहीं होंगे।

Jan 16, 2024 - 11:10
Jan 16, 2024 - 11:16
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सरकार और क्रस्ना लैब के बीच विवाद के चलते स्वास्थ्य विभाग ने टेस्ट करवाने के नए नियम किए लागू पढ़िए 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     16-01-2024

राज्य सरकार और क्रस्ना लैब के बीच चले विवाद के बीच स्वास्थ्य विभाग ने टेस्ट करवाने के नए नियम लागू कर दिए हैं। अब क्रस्ना लैब में होने वाले टेस्ट बिना पेथोलॉजी टेस्ट रिक्यूजिशन फार्म (पीटीआरएफ ) के नहीं होंगे। प्रदेश के सभी अस्पतालों में फार्म की व्यवस्था कर दी गई है। 

जिले के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भी इसे लागू करने के लिए कहा है। स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों को भी आदेश दिए हैं कि वह इसी फार्म पर ही टेस्ट करवाने के लिए मरीजों को लैब में भेजे। खास बात यह है कि फार्म में टेस्ट के आगे टिक करने के बाद चिकित्सक संख्या और साइन भी करेंगे।

इससे पहले क्रस्ना लैब में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं थी। केवल अस्पताल से मरीज को मिलने वाली पर्ची पर ही लिखे टेस्ट को टिक किया जाता था। इसके साथ कोई अन्य टेस्ट चिकित्सक ने करवाना होता था वह लिखा जाता था। इसके बाद मरीज क्रस्ना लैब में टेस्ट करवाने के लिए जाते थे। 

अब टेस्ट पर्ची पर नहीं लिखा जाएगा। वहीं टेस्ट को लेकर भी पारदर्शिता आएगी। गौरतलब है कि बीते सप्ताह प्रदेशभर के अस्पतालों में काम करने वाली क्रस्ना लैब की ओर से टेस्ट बंद कर दिए थे।लैब प्रबंधकों ने सरकार की ओर से राशि जारी न होने पर यह कदम उठाया था। 

करीब दो दिन तक अस्पतालों में मरीजों को क्रस्ना लैब की ओर से टेस्ट सुविधा नहीं दी गई थी। इससे मरीजाें को काफी दिक्कतें आई थी। इसे देखते हुए सरकार और लैब प्रबंधकों के बीच वार्ता हुई और पुन: टेस्ट शुरू हुए थे। इसी विवाद के बीच अब विभाग ने लैब में टेस्ट करवाने के लिए पीटीआरएफ देना अनिवार्य कर दिया है।

अस्पताल में क्रस्ना लैब में टेस्ट करवाने के लिए पीटीआर फार्म चिकित्सकों को देना होगा। इसके लिए अस्पताल में सभी चिकित्सकों को फार्म दे दिए गए हैं। इसमें तीन फार्म है। अलग-अलग कॉपी के मुताबिक ही काम किया जाएगा। इससे लैब के पंजीकरण काउंटर पर भी भीड़ कम होगी।

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