नौणी के वैज्ञानिक फसलों के विविधिकरण को लेकर लगातार प्रयासरत,अलग-अलग क्षेत्रों में रोपे हजारों पौधे
डा. यशवंत सिंह परमार औद्येानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिक प्रदेश में फसलों के विविधिकरण को लेकर लगातार प्रयासरत है । इसी दिशा में प्रदेश में कॉफी से फसल विविधिकरण पर भी नौणी विश्वविद्यालय अनुसंधान कार्य कर रहा
यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन 11-02-2024
डा. यशवंत सिंह परमार औद्येानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिक प्रदेश में फसलों के विविधिकरण को लेकर लगातार प्रयासरत है । इसी दिशा में प्रदेश में कॉफी से फसल विविधिकरण पर भी नौणी विश्वविद्यालय अनुसंधान कार्य कर रहा है। बता दें कि प्रदेश में अभी कई ऐसी फसलें है, जिनको उगाकर किसान अपनी आय का साधन बनाते है।
अधिकांश किसानों द्वारा एक जैसी फसलों का उत्पादन किए जाने से मार्केट में उसकी मांग भी घट जाती है। ऐसे में जरूरत रहती है कि प्रदेश में कोई ऐसी नई फसल हो, जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का भी साधन बनें। इसी विषय को ध्यान में रखते हुए डा. यशवंत सिंह परमार के वैज्ञानिकों द्वारा शोध किया जा रहा जिसमें पाया गया है कि कॉफी से फसल विविधिकरण ऐसा माध्यम साबित हो सकता है।
यदि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्र में कॉफी को उगाना यदि सफल रहता है, तो फिर प्रदेश के लोगों के लिए एक और नकदी फसल कॉफी के रूप में मिल सकती है। प्रदेश के कई जिलों में इसको लेकर अनुसंधान चल रहा है। पहले चरण में कई जिलों में कॉफी के हजारों पौधे उगाकर देखा जा रहा है कि उसके क्या परिणाम सामने आते हैं ।
गौर रहे कि प्रदेश में कॉफी से फसल विविधिकरण के विषय पर नौणी व घुमारवीं में दो कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी है। इसके साथ ही नौणी विवि के मुख्य परिसर, केवीके कंडाघाट, जाच्छ, चंबा, नगरोटा बगवां, हमीरपुर के नेरी व सिरमौर के धौलाकुंआ में चार हजार से अधिक कॉफी के पौधों का रोपण कर अनुसंधान व प्रशिक्षण शुरू हो चुके हैं। कॉफी में हिमाचल के लिए एक नई नकदी फसल बनने की उम्मीद है। इससे फसल विविधीकरण में मदद मिलेगी और एक ही फसल पर निर्भरता भी कम होगी।
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