उपलब्धि : राजगढ़ के रणदीप सिंह का सहायक कमांडेंट पद के लिए चयन

सिरमौर जिला के राजगढ़ क्षेत्र के एक होनहार युवा रणदीप सिंह सरोल्टा ने राष्ट्रीय स्तर की सहायक कमांडेट की परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग से उतीर्ण करके अपने माता पिता और क्षेत्र का नाम रोशन किया

Jul 16, 2024 - 20:30
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उपलब्धि : राजगढ़ के रणदीप सिंह का सहायक कमांडेंट पद के लिए चयन

यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़    16-07-2024

सिरमौर जिला के राजगढ़ क्षेत्र के एक होनहार युवा रणदीप सिंह सरोल्टा ने राष्ट्रीय स्तर की सहायक कमांडेट की परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग से उतीर्ण करके अपने माता पिता और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। राजगढ़ क्षेत्र के यह पहले ऐसे युवा है जिन्होने संघ लोक सेवा आयोग की बहुत की कठिन परीक्षा उतीर्ण की है। इससे पहले रणदीप सिंह इंडियन नेवी में विभिन्न पदों पर रहकर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

सेना में अधिकारी बनने के जनून में इनके द्वारा बीते वर्ष इंडियन नेवी से स्वैच्छिक रिटायमेंटले ली थी। बता दें कि सहायक कमांडेंट बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली लिखित शारीरिक कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। इन परीक्षाओं से गुजरने के उपरांत युवक को संघ के बोर्ड के समक्ष अपनी प्रतिभा दिखानी होती है।

रणदीप सिंह सरोल्टा का जन्म वर्ष 1989 में राजगढ़ के समीप डोहर गांव में हुआ है। साधारण परिवार में जन्में इस युवा ने सेना में ऑफिसर  बनकर अपने माता पिता के सपनों को साकार बनाया है। इनके पिता जगदीश चंद सरोल्टा  एक साधारण किसान है और माता निर्मला देवी एक सफल गृहिणी है । इनकी धर्मपत्नि प्रतिभा चैहान पंजाब नेशनल बैंक सोलन में सेवारत है। 

इनके पास एक डेढ वर्षीय छोटी बिटिया तक्षवी सरोल्टा है। गौर रहे कि रणदीप सिंह ने पांचवी तक की शिक्षा अपने पैतृक गांव में उतीर्ण की। तदोंपरांत इन्होने जवाहर नवोदय विद्यालय नाहन से 12वीं की परीक्षा पास की । होनहार बालक होने के चलते इनके द्वारा इंडियन नेवी में भर्ती हो गए।

साथ ही  इंडियन नेवी में सेवा करने के दौरान अंग्रेजी और लोक प्रशासन विषय  में मास्टर डिग्री प्राप्त की है । इसकेे अलावा पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय में स्नातक डिप्लोमा (बीजेएमसी ) किया है। रणदीप सिंह सरोल्टा ने एक साक्षातकार में बताया कि उन्होने बिना किसी कोचिंग के राष्ट्रीय स्तर की यह कठिन परीक्षा क्रेक की है। 

उन्होने बताया कि बचपन से ही उन्हें सेना की  वर्दी पहनने के शौक था जोकि इंडियन नेवी में पूरा हो गया था स्वैंच्छिक सेवानिवृति लेने के उपरांत  उन्होने सहायक कमांडेट बनने के लिए डटकर मेहनत की और  उनका सेना अधिकारी बनने का सपना पूरा हुआ है।

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