कबाड़ बन रही एचआरटीसी की इलेक्ट्रिक बसें , खराब बसों को नहीं मिल रहे कलपुर्जे , निगम को हो रहा नुक्सान 

हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी की इलेक्ट्रिकल बसें विभाग को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रही हैं। इन बसों में यात्रा करना न कोई पसंद कर रहा है और न ही यह बसें ज्यादा चल पा रही हैं। आए दिन इन बसों के खराब होने की सूचना विभाग को मिल रही है। आलम यह है कि जो बसें खराब हुई हैं , उन्हें काफी समय से ठीक तक नहीं किया गया है। इन बसों के कलपुर्जे ही नहीं मिल रहे हैं। इन वाहनों को चलाने वाले चालकों का भी कहना है कि यदि अधिक चढ़ाई हो, तो ये बसें सडक़ में ही रुक जाती हैं

Oct 23, 2025 - 12:10
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कबाड़ बन रही एचआरटीसी की इलेक्ट्रिक बसें , खराब बसों को नहीं मिल रहे कलपुर्जे , निगम को हो रहा नुक्सान 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  23-10-2025


हिमाचल प्रदेश में एचआरटीसी की इलेक्ट्रिकल बसें विभाग को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रही हैं। इन बसों में यात्रा करना न कोई पसंद कर रहा है और न ही यह बसें ज्यादा चल पा रही हैं। आए दिन इन बसों के खराब होने की सूचना विभाग को मिल रही है। आलम यह है कि जो बसें खराब हुई हैं , उन्हें काफी समय से ठीक तक नहीं किया गया है। इन बसों के कलपुर्जे ही नहीं मिल रहे हैं। इन वाहनों को चलाने वाले चालकों का भी कहना है कि यदि अधिक चढ़ाई हो, तो ये बसें सडक़ में ही रुक जाती हैं। 

वहीं हल्की तकनीकी खराबी के चलते भी ये बसें खड़ी हो जाती हैं , जबकि डीजल बसों के कलपुर्जे कहीं भी आसानी से मिल जाते हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार ग्रीन हिमाचल, क्लीन हिमाचल’ के तहत शहर में इलेक्ट्रिकल बसें लाने जा रही है। इन बसों की बारीकी से जांच भी होने वाली है। वहीं, पुरानी बसों की बात करें, तो अधिकतर बसें कबाड़ बन गई हैं। शिमला डीपों की बात करें तो यहां पर करीब 20 इलेक्ट्रिक बसें खड़ी हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि इलेक्ट्रिक बसों के ज्यादातर कलपुर्जे दूसरे देशों से मंगवाए जाते हैं। इसको देखते हुए अब एचआरटीसी निजी कंपनियों के साथ वार्षिक आधार पर बसों की मरम्मत को लेकर करार करने पर भी विचार कर रहा है। 
निगम का मानना है कि इलेक्ट्रिक बसों की मरम्मत को लेकर उनके तकनीकी स्टाफ के पास जरूरी दक्षता नहीं है। ऐसे में कंपनियों के साथ रिपेयर को लेकर सीधे करार करने से कलपुर्जों की खरीद के साथ मरम्मत का बोझ भी नहीं पड़ेगा। वहीं , अब परिवहन निगम इन बसों को ठीक करने को लेकर भी ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। इनमें से कई बसें ऐसी हैं, जो काफी समय से खड़ी हैं और इन बसों में मेजर फॉल्ट हैं। इन्हें ठीक करने में ही लाखों रुपए लग जाएंगे। वहीं कंपनी से जब कलपुर्जों के ऑर्डर किए जाते हैं, तो उन्हें आने में भी महीनों लग जाते हैं।

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