पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में सीबीआई ने दर्ज की एक ओर एफआईआर 

हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तीसरी एफआईआर दर्ज की है। जिला सोलन के अर्की पुलिस थाने में दर्ज हुए इस मामले को आधार बनाकर सीबीआई ने विभिन्न धाराओं के तहत चंडीगढ़ ब्रांच में यह मामला दर्ज किया

Aug 19, 2023 - 17:40
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पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में सीबीआई ने दर्ज की एक ओर एफआईआर 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  19-08-2023

हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तीसरी एफआईआर दर्ज की है। जिला सोलन के अर्की पुलिस थाने में दर्ज हुए इस मामले को आधार बनाकर सीबीआई ने विभिन्न धाराओं के तहत चंडीगढ़ ब्रांच में यह मामला दर्ज किया है। अभी एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया गया है। पेपर लीक मामले में इससे पहले सीबीआई ने पुलिस और सीआईडी की दो एफआईआर को आधार बनाकर दो एफआईआर (प्राथमिकी) दर्ज की हैं। 
पहली प्राथमिकी में कांगड़ा के नूरपुर के गांव देव भराड़ी निवासी मुनीष कुमार, फतेहपुर के गांव खटियाड़ के मनी चौधरी और इसी जिले के भडियाड़ा के गौरव को नामजद किया है। दूसरी प्राथमिकी में मुनीष कुमार के अलावा नूरपुर के रिहान निवासी सुनील कुमार को नामजद किया है। बता दें कि पिछले साल पुलिस कांस्टेबल भर्ती के तहत हुई लिखित परीक्षा का परिणाम आने के दो से तीन दिन बाद ही सोशल मीडिया पर सोलन जिले के कुछ युवाओं की व्हाट्सएप चैट वायरल हुई थी। संबंधित चैट में पैसे के लेनदेन से पेपर खरीदने के आरोप लगाए गए थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुई चैट बीते वर्ष 24 मार्च को सामने आई थी। कांस्टेबल परीक्षा 27 मार्च को हुई थी। सूत्रों के अनुसार अर्की का एक युवक जिसे पेपर खरीदने का ऑफर मिला था, लेकिन उसने पेपर खरीदा नहीं था। 
जब रिजल्ट आया तो वह युवक रिजल्ट में मेरिट में नहीं आ सका। इसके बाद उस युवक ने ही 24 मार्च को व्हाट्सअप चैट सोशल मीडिया पर वायरल किया। इस चैट को शुरुआत में पुलिस अफसर गलत बताते रहे लेकिन, जब मामले ने तूल पकड़ा तो अर्की पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया। मामले की जांच के बाद पुलिस की एसआईटी ने 29 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में पुलिस कांस्टेबल के 1334 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके तहत बीते वर्ष 27 मार्च को राज्य में स्थापित किए गए 81 केंद्रों में लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी।
 इसके बाद 5 अप्रैल को परिणाम घोषित किया गया था। इसी बीच 5 मई को पेपर लीक होने का मामला सामने आया। ऐसे में 6 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने परीक्षा रद्द कर पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) को मामला सौंपा था। पुलिस और सीआईडी ने मामले दर्ज किए तो 31 मई को पांच आरोपियों की पहली बार गिरफ्तारियां हुईं।

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