मिट्टी और खड़़ी फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाकर लोगों में दूर होगा कुपोषण
अब मिट्टी और खड़़ी फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाकर लोगों में कुपोषण दूर किया जाएगा। इससे आयरन, जिंक, आयोडीन और सेलेनियम जैसे खनिजों तथा विटामिन की कमी दूर होगी
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 19-10-2023
अब मिट्टी और खड़़ी फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाकर लोगों में कुपोषण दूर किया जाएगा। इससे आयरन, जिंक, आयोडीन और सेलेनियम जैसे खनिजों तथा विटामिन की कमी दूर होगी। इसके लिए कृषि विशेषज्ञों ने सेब, सब्जियों और अनाजों में अनुमोदित उर्वरकों या छिड़काव से सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिलाने की सिफारिश की है।
इसके लिए चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन किया है। मानव शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए आनुवांशिक के बजाय कृषि विज्ञान दृष्टिकोण यानी एग्रोनोमिक तरीके से उगाई गई फसलें ही ज्यादा कारगर करार दी गई हैं। इस तकनीक को बायोफोर्टिफिकेशन कहा गया है।
यह पोषक तत्वों से भरपूर विविधता विकसित करने में सहायक होगी। यह अध्ययन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों डॉ. अवनी, डॉ. सोनिया सूद, डॉ. देशराज चौधरी और डॉ. रणवीर सिंह राणा ने किया है।
सके अनुसार सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जिसे ‘छिपी हुई भूख’ के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करती है, जो तब होती है, जब शरीर में आवश्यक विटामिन और खनिजों की कमी होती है। यह उचित वृद्धि, विकास और समग्र स्वास्थ्य के लिए कम मात्रा में आवश्यक होते हैं।
मनुष्यों में आयरन, जिंक, आयोडीन और सेलेनियम की कमी दुनियाभर में भोजन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। कृषि विज्ञान दृष्टिकोण एक अस्थायी लेकिन त्वरित समाधान प्रदान करता है, जबकि आनुवंशिक दृष्टिकोण यानी प्रजनन और ट्रांसजेनिक दीर्घकालिक समाधान है, लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर विविधता विकसित करने के लिए यह समय की जरूरत है।
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