सिरमौर जिला के गिरिपार में आठों पर मशालें जलाकर हुआ राजा बलि का जयघोष

सिरमौर जनपद की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परंपराओं को संजोए रखने के लिए मशहूर गिरिपार क्षेत्र में पारंपरिक अंदाज में भराड़ी पूजन व हुशू कहलाने वाली मशालों को जलाकर आठों पर्व मनाया गया। दीपावली से तीन सप्ताह पहले दुर्गा अष्टमी के दिन मनाए जाने वाले इस त्यौहार को इलाके में छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है

Oct 22, 2023 - 19:51
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सिरमौर जिला के गिरिपार में आठों पर मशालें जलाकर हुआ राजा बलि का जयघोष
सिरमौर जिला के गिरिपार में आठों पर मशालें जलाकर हुआ राजा बलि का जयघोष

 
लाल सिंह शर्मा - संगड़ाह  22-10-2023

सिरमौर जनपद की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परंपराओं को संजोए रखने के लिए मशहूर गिरिपार क्षेत्र में पारंपरिक अंदाज में भराड़ी पूजन व हुशू कहलाने वाली मशालों को जलाकर आठों पर्व मनाया गया। दीपावली से तीन सप्ताह पहले दुर्गा अष्टमी के दिन मनाए जाने वाले इस त्यौहार को इलाके में छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है , जबकि दिवाली के एक माह बाद आने वाली अमावस्या को बूढ़ी दिवाली मनाने की परंपरा है। आठों अथवा दुर्गा अष्टमी के दिन से क्षेत्र में दीपावली की तैयारियां शुरू हो जाती है तथा इसे दिवाली का पहला पड़ाव कहा जाता है। 

गिरिपार में दिवाली व बूढ़ी दियाली एक-दो दिन नहीं बल्कि चौदस , अवांस , पोड़ोई , दूज , तीज , चौथ व पंचमी के नाम से सप्ताह भर मनाई जाती है। आठों अथवा अष्टमी पर क्षेत्र में भराड़ी नामक पवित्र जंगली फूल के डमरु बनाकर इसका पूजन किया जाता है। सिरमौर के हिमालई अथवा पहाड़ी जंगलों में पाए जाने वाले सफेद रंग के इन पवित्र फूलों को सुबह घर का एक सदस्य बिना किसी से बात किए व बिना कुछ खाए-पिए जंगल से लेकर आता है। इनके डमरू नुमा गुच्छे को मां गौरा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है तथा बाद में इसे जल अथवा अग्नि में प्रवाहित किया जाता है। 

अष्टमी अथवा आठों की सुबह बनने वाली खिचड़ी का भोग लगाकर भराड़ी पूजन किया जाता है। सूर्यास्त होने के बाद बच्चों अथवा कन्याओं को आठों पर बनाए जाने वाले धोरोटी-भात व खिचड़ी आदि पारम्परिक व्यंजन प्रसाद स्वरूप बांटे जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद हुशू कहलाने वाली बावड़ी घास व अन्य ज्वलनशील पदार्थों से बनी विशेष मशालें जलाकर सिर पर घुमाई जाती है। मशालें जलाने के दौरान स्वर्गलोक विजेता एवं दानवीर राजा बलि का जयघोष किया जाता है। गिरिपार अथवा ग्रेटर सिरमौर में प्रचलित मान्यता के अनुसार मशालें सिर पर घुमाने से कष्टों , आपदाओं व बुरी आत्माओं के साए से मुक्ति मिलती है। रविवार को ग्रेटर सिरमौर के अंतर्गत आने वाले उपमंडल संगड़ाह , शिलाई , कफोटा व राजगढ़ आदि की करीब 154 पंचायतों में पारंपरिक अंदाज से आठों अथवा दुर्गा अष्टमी त्यौहार मनाया गया तथा राजा बलि का जयघोष हुआ। 

आंठों के अलावा क्षेत्र में माघी , बूढ़ी दिवाली , दूज, गुगा नवमी व पांजवी आदि त्यौहार भी शेष हिंदुस्तान से अलग अंदाज में मनाए जाते हैं। ऐसी ही परम्पराओं व त्योहारों के आधार पर गिरिपार वासियों द्वारा पिछले साढ़े पांच दशक से की जा रही क्षेत्र को जनजातीय दर्जे की मांग भारत सरकार द्वारा गत 4 अगस्त को पूरी की जा चुकी हैं। बहरहाल गिरिपार के हाटी समुदाय द्वारा आज पारंपरिक अंदाज में आठों त्यौहार मनाया गया।

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