हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकेत स्पष्ट, ऊंचाई की ओर से खिसक रहे पौधे
हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकेत स्पष्ट रूप से देखे जाने लगे हैं। जहां एक ओर पेड़-पौधे अब ऊंचाई की ओर खिसक रहे हैं। दूसरी ओर शिमला जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी में भी भारी गिरावट दर्ज की गई

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 05-06-2025
हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकेत स्पष्ट रूप से देखे जाने लगे हैं। जहां एक ओर पेड़-पौधे अब ऊंचाई की ओर खिसक रहे हैं। दूसरी ओर शिमला जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। ग्लेशियरों के पिघलने से इनके आसपास और राज्य की नदियों के कैचमेंट क्षेत्रों में सैकड़ों नई झीलें बन गई हैं।
नदियों और हवा की गुणवत्ता भी खतरनाक स्तर तक गिर रही है। इन सभी बदलावों के पीछे मुख्य कारण ग्लोबल वॉर्मिंग, अनियंत्रित शहरीकरण, वाहनों की संख्या में इजाफा और वन कटान को माना जा रहा है।
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला के ताजा अध्ययनों के अनुसार पिछले कुछ दशकों में देवदार, नीला चीड़, बुरांस और हिमालयी फर जैसी प्रजातियां 100 से लेकर 1000 मीटर तक ऊंचाई की ओर खिसक चुकी हैं। यह अब परंपरागत बेल्ट में नहीं उग पा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हर दशक में औसतन 20 से 25 मीटर की ऊंचाई में यह बदलाव दर्ज किया जा रहा है।
देवदार अब 3000 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच चुका है। बान, ओक और चीड़ जैसी प्रजातियां निचले व मध्यवर्ती ऊंचाई के जंगलों में समा रही हैं। संस्थान के जैव वैज्ञानिक डॉ. विनीत जिस्टू ने बताया कि लगातार हो रहे पर्यावरण के बदलाव से हिमालय की प्रजातियों पर असर पड़ रहा है। बढ़ते तापमान के कारण ठंडे क्षेत्रों के पेड़-पौधों को उगने के लिए कम जगह मिल रही है और उनकी तादाद कम हो रही है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1990-2000 के दशक में शिमला में औसतन 129.1 सेमी बर्फबारी होती थी, जो 2010-2020 में घटकर 80.3 सेमी रह गई। बीते तीन सर्दियों में यह आंकड़ा दहाई के अंक को भी पार नहीं कर पाया। 2022-23 में मात्र 6 सेमी, 2023-24 में 7 सेमी और 2024-25 के इस सीजन में अब तक केवल 9.5 सेमी बर्फ गिरी है।मौसम विभाग के वैज्ञानिक अधिकारी संदीप शर्मा ने बताया कि तापमान में बढ़ोतरी से मौसम चक्र में बदलाव हो रहा है।
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