45 वर्षो उपरांत ठूंड के देव जुन्गा मनूनी मंदिर में संपन हुआ शांद यज्ञ , भक्तों ने मांगी सुखशांति की दुआ 

देव जुन्गा मनूनी  के 22 टीका स्थान ठूंड के प्राचीन मंदिर में 45 वर्षों उपरांत शांद यज्ञ बीते कल संपन हुआ। जिसमें हजारों की तादाद में कल्याणों और श्रद्धालुओं ने देव जुन्गा मनूनी और शांद यज्ञ में अन्य देवताओं का आर्शिवाद प्राप्त किया। मंदिर समिति के महासचिव राम गोपाल ठाकुर ने बताया कि इस शांद यज्ञ में तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा एवं चौथे इष्ट राजा खुश विक्रम सेन तथा राजमाता विजय ज्योति सेन के अतिरिक्त माता तारा देवी का त्रिशूल,  हनुमान खुशहाला से चैकी सहित चार देवता कनेटी धार , देवता घनेणा, देवता जुन्गा भनोग , देवता धनचंद , 24 देवठियों के कारदार भी शामिल हुए

Feb 18, 2024 - 19:57
Feb 18, 2024 - 20:01
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45 वर्षो उपरांत ठूंड के देव जुन्गा मनूनी मंदिर में संपन हुआ शांद यज्ञ , भक्तों ने मांगी सुखशांति की दुआ 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  18-02-2024
देव जुन्गा मनूनी  के 22 टीका स्थान ठूंड के प्राचीन मंदिर में 45 वर्षों उपरांत शांद यज्ञ बीते कल संपन हुआ। जिसमें हजारों की तादाद में कल्याणों और श्रद्धालुओं ने देव जुन्गा मनूनी और शांद यज्ञ में अन्य देवताओं का आर्शिवाद प्राप्त किया। मंदिर समिति के महासचिव राम गोपाल ठाकुर ने बताया कि इस शांद यज्ञ में तत्कालीन क्योंथल रियासत के राजा एवं चौथे इष्ट राजा खुश विक्रम सेन तथा राजमाता विजय ज्योति सेन के अतिरिक्त माता तारा देवी का त्रिशूल,  हनुमान खुशहाला से चैकी सहित चार देवता कनेटी धार , देवता घनेणा, देवता जुन्गा भनोग , देवता धनचंद , 24 देवठियों के कारदार भी शामिल हुए। 
उन्होंने बताया कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार करने के उपरांत 45 वर्षों उपरांत शांद यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें मंदिर के शीर्ष पर कुरूड़ स्थापित करने की परंपरा पारंपरिक देव पूजा पद्धति से निभाई गई। गौर रहे कि क्योंथल रियासत में राजा का स्थान देवताओं से उपर माना जाता है जिस कारण क्योंथल राजा की लोग चौथे इष्ट के रूप में पूजा की जाती है। इस मौके पर चैथे इष्ट एवं राजा खुश विक्रम सेन द्वारा क्योंथल रियासत में देव संबधी पुरानी परंपराओं से सुधार लाकर छूट देने की घोषणा की गई। जिसमें किसी प्रकार की घर में अशुद्धि होने पर पुराने नौ दिन को घटाकर पांच दिन कर दिया गया अर्थात घर में माहवारी इत्यादि अशुद्धि होने पर जो मंदिर जाने का 9 दिन का परहेज किया जाता था उसे पांच दिन कर दिया गया है। 
इसके अतिरिक्त देव कार्य के भंडारे में कालांतर से न ही  दूध का प्रयोग किया जाता था और न ही इस दौरान कुर्सी पर बैठ सकते थे। राजा ने देव कार्य के भंडारे में दूध का इस्तेमाल करने तथा कुर्सी पर बैठने की भी अनुमति प्रदान कर दी गई। इस मौके पर राजमाता विजय ज्योति सेन से सभी देव जुन्गा के  22 टीका देवताओं के पुजारियों, देवता के गुर और कारदारों को सलाह दी कि देवता की प्राचीन परिपाटी को कायम रखा जाए। उन्होंने कहा कि समूचे क्योंथल क्षेत्र में  लोग देव जुन्गा को अपना कुलईष्ट मानते हैं , परंतु बदलते समय के साथ प्राचीन परंपराएं भी लुप्त होने के कगार पर आ गई। क्षेत्र के लोग अपने देवता की बजाए अब अन्य क्षेत्र के देवताओं में विश्वास करने लगे हैं जिससे प्रतीत होता है कि हमारी देव परंपराएं लुप्त होने लगी है। 
उन्होने कहा कि क्योथल में देव जुन्गा के 22 टीका मंदिरों की अलग अलग समितियां अपने स्तर  गठित की गई है। उन्होने कहा कि 22 टीका मंदिर की एक ही बड़ी कमेटी बनाने पर विचार किया जाएगा और यह समिति देव जुन्गा के 22 टीका मंदिरों की कार्यकारिणी पर नजंर रखेगी तथा समय समय पर देव कार्य संबधी मार्गदर्शन भी करेगी। इस मौके पर देव जुन्गा मनूनी समिति के प्रधान कृष्ण दत्त ठाकुर, कोषाध्यक्ष जय सिंह ठाकुर,  देवा नरेन्द्र शर्मा,  नरायण दत्त भंडारी, संजय कुमार बहीदार सहित अन्य कारदार मौजूद रहे।

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