वाणिज्य विभाग में पीएचडी प्रवेश में अनुसूचित जनजाति की सीट खत्म करने के विरोध में सड़कों पर उत्तरी एसएफआई 

एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन किया गया। इस धरने  प्रदर्शन में बात रखते हुए एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सचिवालय सदस्य रितेश ने कहां कि वाणिज्य विभाग में पीएचडी प्रवेश में अनुसूचित जनजाति की सीट को खत्म किया गया है और इस सीट को जनरल कैटेगरी में भरा गया है जिसका एस एफ आई विरोध करती है

Apr 4, 2024 - 18:53
Apr 4, 2024 - 19:46
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वाणिज्य विभाग में पीएचडी प्रवेश में अनुसूचित जनजाति की सीट खत्म करने के विरोध में सड़कों पर उत्तरी एसएफआई 
 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  04-04-2024
एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन किया गया। इस धरने  प्रदर्शन में बात रखते हुए एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सचिवालय सदस्य रितेश ने कहां कि वाणिज्य विभाग में पीएचडी प्रवेश में अनुसूचित जनजाति की सीट को खत्म किया गया है और इस सीट को जनरल कैटेगरी में भरा गया है जिसका एस एफ आई विरोध करती है। धरने को सम्बोधित करते हुए परिसर सचिव सनी सेक्टा ने कहा की यह सीधे तौर पर एसटी के छात्रों के अधिकारों का हनन है व एसटी के छात्रों को शिक्षा के समान अधिकार से दूर किया जा रहा है। 
इसके साथ संविधान की भी अवहेलना की जा रही है और विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस के साथ-साथ यूजीसी के नियमों को भी दरकिनार किया जा रहा है। परिसर सचिव सनी सेकटा ने कहा कि विश्वविद्यालय को लगातार धांधलियों का अखाड़ा बनाया जा रहा है। पूर्व के कुलपति सिकंदर कुमार ने पहले अपने व अपने दोस्तों के बच्चों के पीएचडी में फर्जी प्रवेश में करवाए , उसके बाद वो भाजपा के सांसद बन कर विश्वविद्यालय से चले गए। उसी प्रकार वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने भी फर्जी भर्तियों व अवैध दाखिलों पर जोर देकर उस परम्परा को जारी रखा है। अतः वाणिज्य विभाग में जो एसटी की सीट को खत्म करके सामान्य छात्र को अवैध दाखिला दिया गया है। 
उस दाखिले को रद्द किया जाए व साथ ही साथ जो अधिकारी इस भ्रष्टाचार शामिल है उनसे इस्तीफा लिया जाए और इस विभाग के विभागाध्यक्ष को पद से हटाया जाए। इसके साथ -साथ जितने भी इससे पहले पीएचडी प्रवेश के अंदर धांधली हुई है या फिर पीएचडी में गलत तरीके से सबमिशन करवाई जा रही है उन सब पर संज्ञान लिया जाए और उसके अंदर शामिल सभी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अन्यथा एसएफआई सभी छात्रों को इकट्ठा करते हुए एक बड़ा आंदोलन करेगी जिसकी पूरी जिम्मेवारी विश्वविद्यालय प्रशासन व प्रदेश सरकार होगी।

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