हाटियों के साथ फिर खड़ी हुई केंद्र सरकार , क़ानूनी दर्जा मिलने के बाद भी पात्र नहीं बन पाए हजारों छात्र

हिमाचल के गिरिपार में बसे हाटियों के हकों का मामला फिर गरमा गया है। अटकाने लटकाने और भटकाने के उबाऊ दौर से अब मामला बाहर निकालने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर से मजबूती के साथ हाटियों के पक्ष में खड़ी हो गई है। अनुसूचित जनजाति संशोधन कानून के बावजूद हजारों छात्रों को नौकरियों के लिए पात्र नहीं बन पा रहे हैं

Aug 3, 2024 - 19:35
Aug 3, 2024 - 20:08
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हाटियों के साथ फिर खड़ी हुई केंद्र सरकार , क़ानूनी दर्जा मिलने के बाद भी पात्र नहीं बन पाए हजारों छात्र


यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  03-08-2024

हिमाचल के गिरिपार में बसे हाटियों के हकों का मामला फिर गरमा गया है। अटकाने लटकाने और भटकाने के उबाऊ दौर से अब मामला बाहर निकालने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर से मजबूती के साथ हाटियों के पक्ष में खड़ी हो गई है। अनुसूचित जनजाति संशोधन कानून के बावजूद हजारों छात्रों को नौकरियों के लिए पात्र नहीं बन पा रहे हैं। एक वर्ष पूर्व चार अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अधिसूचना जारी की थी। एक वर्ष बीत जाने के बाद भी संवैधानिक और कानूनी अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा है। केंद्रीय हाटी समिति ने मुद्दे को नई धार दी है। हाटियों के हको की दशकों से लंबी लड़ाई लड़ रही समिति ने अपना पक्ष केंद्र के समक्ष मजबूती के साथ रखा है। 
इस संबंध में समिति के शिमला इकाई के पदाधिकारियों ने पत्रकार वार्ता की। इसमें अध्यक्ष डॉ . रमेश सिंगटा और महासचिव खजान सिंह ठाकुर , वरिष्ठ सलाहकार वरिष्ठ सलाहकार कपिल चौहान ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से आग्रह किया कि वह उनके अधिकारों को दिलाने के लिए जरूरी कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इसमें तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि हाटी पिछले 6 दशकों से राजनीतिक उपेक्षा के शिकार हुए है। एक भाई को जौनसार बावर में 1967 में एसटी का दर्जा मिला , लेकिन सिरमौर के गिरिपार के दूसरे भाई को इससे वंचित रहना पड़ा। राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में कानूनी दर्जा नहीं मिल पाया था। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने वर्ष 1979 में हाटियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश की थी , लेकिन इस सिफारिश को केंद्र सरकार में लागू नहीं किया। 
संबंधित फाइल को दशकों तक दबाए रखा। पहली बार मोदी सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई और हाटी को एसटी का कानूनी दर्जा प्रदान किया। लेफ्ट आउट के लिए लंबा संवैधानिक रूप लेना पड़ा। अलग-अलग चरणों से होकर गुजरने के बाद संसद ने जिस कानून को पारित किया, वह आज भी लागू नहीं हो पा रहा है। युवा वर्ग गिरिपार में हाटी मामले पर आंदोलन करेगा। छात्रों को पूरे छात्रवृत्ति और नौकरियों में नुकसान आंदोलन का प्रमुख मुद्दा होगा। पहले भी महा खुमलियों में युवाओं ने बड़ी भूमिका निभाई है। कानून को जल्द क्रियान्वित करवाने की दिशा में पहल करने के लिए हाटी समिति की शिमला इकाई ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह , जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओरांव , कानून मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा , हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर , शिमला के सांसद सुरेश कश्यप , शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव सिंह तोमर का विशेष आभार जताया। 
केंद्रीय हाटी समिति का भी आभार जताया। आज इस प्रेसवार्ता में उपस्थित शिमला हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. रमेश सिंगटा , उपाध्यक्ष विनोद विरसांटा ,  महासचिव खजान ठाकुर , सचिव आशु चौहान , कोषाध्यक्ष सुरजीत चौहान , भीम सिंह चौहान कानूनी सलाहकार , विनोद चौहान एवं श्याम सिंह चौहान , मीडिया प्रभारी अनुज शर्मा , सलाहकार दिलीप सिंगटा , मीडिया प्रभारी अनु शर्मा , मुख्य प्रवक्ता सुरेश सिंगटा ,  कार्यकारिणी सदस्य कपिल चौहान , खजान ठाकुर , मदन तोमर , लाल सिंह चौहान शणक्वान , गोपाल ठाकुर , चंद्र मणि शर्मा , नीतू चौहान और अत्तर सिंगटा उपस्थित रहे। 

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