एक साथ होंगे लोकसभा-विधानसभा चुनाव , एक देश-एक चुनाव को कैबिनेट की मंजूरी , शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है बिल

देश में लंबे समय से बहस का मुद्दा रहे 'एक देश, एक चुनाव' (One Nation One Election) के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ करना है , ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनावों में होने वाले वित्तीय खर्चे में कटौती की जा सके। एक देश, एक चुनाव के समर्थकों का तर्क है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकता है, खर्चों को कम कर सकता है

Sep 18, 2024 - 19:36
Sep 18, 2024 - 19:59
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एक साथ होंगे लोकसभा-विधानसभा चुनाव , एक देश-एक चुनाव को कैबिनेट की मंजूरी , शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है बिल
 
न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली  18-09-2024
देश में लंबे समय से बहस का मुद्दा रहे 'एक देश, एक चुनाव' (One Nation One Election) के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ करना है , ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनावों में होने वाले वित्तीय खर्चे में कटौती की जा सके। एक देश, एक चुनाव के समर्थकों का तर्क है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकता है, खर्चों को कम कर सकता है और बार-बार चुनावों के कारण होने वाली परेशानियों को कम कर सकता है। हालांकि, आलोचक इसे लेकर कई तरह के सवाल उठाते रहे हैं। भारत में चुनाव का एक ऐसा चक्र बना हुआ है, जिससे ऐसा लगता है कि देश में चुनाव होते ही रहते हैं। 
आजादी के बाद से देश में कई चुनाव हुए हैं, जिससे अक्सर संसाधनों और प्रशासनिक मशीनरी पर काफी दबाव पड़ता है। 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा नई नहीं है। जानकारों का मानना है कि यह प्रक्रिया उतनी की पुरानी है जितना हमारा संविधान। एक देश, एक चुनाव' को लेकर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी गई। कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिल गई है। कहा जा रहा है कि सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में इसे पेश कर सकती है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों के एलान से पहले मार्च में यह रिपोर्ट पेश की थी। कैबिनेट के सामने रिपोर्ट पेश करना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर कोविंद समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर लिया है। कोविंद समिति को एक साथ चुनाव कराने के लिए व्यापक समर्थन मिला है। 
मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविंद समिति की सिफारिशों पर पूरे भारत में विभिन्न मंचों पर चर्चा की जाएगी। बड़ी संख्या में दलों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है। हम अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की बात कही गई है। समिति की सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' के गठन का भी प्रस्ताव रखा है। समिति के मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी। विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा। 
लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी। इसे 'इंडिया, जो भारत है' की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी। समिति ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग की ओर से एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की थी। फिलहाल भारत का चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ही देखता है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों की ओर से कराए जाते हैं। बताया गया कि समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं से समर्थन की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इनके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी, जिन्हें संसद से पारित कराना होगा। 
एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों को कम से कम आधे राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी। इसके अलावा विधि आयोग भी जल्द ही एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट लेकर आने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके पुरजोर समर्थक रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं-पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार (यूनिटी गवर्नमेंट) के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।

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