70 वर्ष की संगीत साधना के बाद सोम दत्त बट्टू को पद्यश्री के रूप में मिला सर्वोच्च सम्मान  

राजधानी शिमला में कई दशकों तक शास्त्रीय संगीत और लोक गीत के क्षेत्र में गुरु-शिष्य की परंपरा के समवाहक रहे पंडित सोम दत्त बट्टू को राष्ट्रीय स्तर का सम्मान पाने पर उन्होंने न केवल शिमला, बल्कि पूरे हिमाचल का मान बढ़ाया

Jan 28, 2024 - 11:20
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70 वर्ष की संगीत साधना के बाद सोम दत्त बट्टू को पद्यश्री के रूप में मिला सर्वोच्च सम्मान  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     28-01-2024

राजधानी शिमला में कई दशकों तक शास्त्रीय संगीत और लोक गीत के क्षेत्र में गुरु-शिष्य की परंपरा के समवाहक रहे पंडित सोम दत्त बट्टू को राष्ट्रीय स्तर का सम्मान पाने पर उन्होंने न केवल शिमला, बल्कि पूरे हिमाचल का मान बढ़ाया है। 

कांगड़ा के जसूर के रहने वाले पंडित बट्टू का जीवन शिमला में ही बीता है। 70 सात की संगीत साधना के बाद उन्हें यह सर्वोच्च सम्मान पद्यश्री के रूप में मिला है। उनसे बात करने पर पंडित बट्टू ने बेबाकी से हर बात साझा की। 

महज छह साल की उम्र में पिता पंडित राम लाल बट्टू से उन्होंने संगीत सीखना शुरू किया, आज 87 की उम्र में भी वह शास्त्रीय संगीत और लोक गीत को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। 

ग्वालियर घराने के पंडित कुंज लाल शर्मा, पंजाब घराने के प्रो. कर्म सिंह चक्रवर्ती और पटियाला घराने के कुंदन लाल शर्मा से शिक्षा दीक्षा प्राप्त की। इसी परंपरा को उन्होंने अपने जीवन में भी आगे बढ़ाया। उनके न जाने कितने ही शिष्य आज शास्त्रीय संगीत और लोक गीत के क्षेत्र में नाम कमा चुके है।

पंडित बट्टू ने शिमला के संजौली, कोटशेरा, फागली कॉलेजों में सालों संगीत शिक्षक के रूप में सेवाएं दीं। हाल ही में पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला ने उनकी शास्त्रीय संगीत पर लिखी पुस्तक को प्रकाशित किया है।

नए लोक गायकों को उन्होंने संदेश दिया कि सच्ची लग्न से संगीत की साधना करें, इसके पारंपरिक गुण को बनाए रखें, सफलता अपने आप मिलेगी।  उनका कहना हैं कि -संगीत मेरा जीवन है, संगीत के लिए जिऊं, संगीत की सेवा करते ही सफर समाप्त हो, यही तमन्ना है।

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