80 पैसे किलो टमाटर बेचने को मजबूर हो रहे किसान , सड़कों पर टमाटर फेंककर जताया विरोध

टमाटर के दाम अब सामान्य हो चुके हैं, लेकिन कुछ जगहों पर तो ये इतने सस्ते हो गए हैं कि किसानों को इसकी लागत तक नहीं मिल रही है। महाराष्ट्र के लातूर में किसानों को महज 80 पैसे किलो में टमाटर बेचना पड़ रहा है। थोक मार्केट में टमाटर के दाम तेजी से कम हुए हैं, जिस वजह से किसान टमाटर उगाने में आई लागत को भी निकाल नहीं पा रहे हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले जुलाई में भारी बारिश और आपूर्ति नहीं होने से  टमाटर 250 से 300 रुपए प्रति किलो बिका

Sep 12, 2023 - 19:58
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80 पैसे किलो टमाटर बेचने को मजबूर हो रहे किसान , सड़कों पर टमाटर फेंककर जताया विरोध

न्यूज़ एजेंसी - मुंबई  12-09-2023
टमाटर के दाम अब सामान्य हो चुके हैं, लेकिन कुछ जगहों पर तो ये इतने सस्ते हो गए हैं कि किसानों को इसकी लागत तक नहीं मिल रही है। महाराष्ट्र के लातूर में किसानों को महज 80 पैसे किलो में टमाटर बेचना पड़ रहा है। थोक मार्केट में टमाटर के दाम तेजी से कम हुए हैं, जिस वजह से किसान टमाटर उगाने में आई लागत को भी निकाल नहीं पा रहे हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले जुलाई में भारी बारिश और आपूर्ति नहीं होने से  टमाटर 250 से 300 रुपए प्रति किलो बिका है। 
अब देश में अधिकतर जगहों पर इसके दाम घटकर 30 से 40 रुपए किलो हो गए हैं, लेकिन लातूर में दाम 80 पैसे होने के चलते किसान बेहद नाराज हैं। लातुर के एक किसान का कहना है कि टमाटर की 2 से 3 हेक्टेयर में खेती की थी, ताकि अच्छा मुनाफा मिल सके। किसान ने कहा कि इस फसल को तैयार करने में 2 से 3 लाख का खर्च आया था, लेकिन अब हालत ये है कि वह अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। 
किसानों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है और सड़कों पर टमाटर को फेंकर विरोध किया। किसानों ने सरकार से इसे सही दाम मिलने की अपील की है। गौरतलब है कि टमाटर जब 250 से 300 रुपए प्रति किलो में बिक रहा था तब कई किसानों ने लाखों की जगह करोड़ों रुपए कमाए हैं। ऐसे में बड़ा लाभ कमाने के लिए ज्यादातर जगहों पर टमाटर की खेती होने लगी, जिसका असर पैदवार पर पड़ा। ज्यादा पैदवार होने से टमाटर की आपूर्ति बढ़ गई।
 वहीं सप्लाई चेन फिर से शुरू होने से बाजारों में ज्यादा मात्रा में टमाटर पहुंचने लगे, जिस कारण दाम में तेज गिरावट हुई। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो 2005-06 में खेती 5,47000 हेक्टेयर पर होती थी, जबकि उत्पादन 99,68000 तक होता था। वहीं सत्र 2022-23 में टमाटर की खेती 8,64,000 पर खेती होती थी और उत्पादन बढ़कर 2, 62000 हो गया। 2023-24 में यह अनुमान बढ़कर डबल होने वाला है। यही खास कारण है कि टमाटर का उचित भाव नहीं मिल रहा है।

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