कैसे हुई उपमुख्यमंत्री और सीपीएस की नियुक्ति , हिमाचल हाईकोर्ट ने मांगे दस्तावेज

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज तलब किए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने यह आदेश उपमुख्यमंत्री की ओर से दायर उस आवेदन पर दिए , जिसमें उन्होंने अपनी नियुक्ति को कानूनी तौर पर सही ठहराया है। यह आवेदन उपमुख्यमंत्री सहित अन्य सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में दायर किया गया है। उपमुख्यमंत्री ने याचिका से अपना नाम हटाने की गुहार लगाई

Oct 20, 2023 - 20:33
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कैसे हुई उपमुख्यमंत्री और सीपीएस की नियुक्ति , हिमाचल हाईकोर्ट ने मांगे दस्तावेज
यंगवार्ता न्यूज़ -  शिमला  20-10-2023

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज तलब किए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने यह आदेश उपमुख्यमंत्री की ओर से दायर उस आवेदन पर दिए , जिसमें उन्होंने अपनी नियुक्ति को कानूनी तौर पर सही ठहराया है। यह आवेदन उपमुख्यमंत्री सहित अन्य सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में दायर किया गया है। उपमुख्यमंत्री ने याचिका से अपना नाम हटाने की गुहार लगाई है। इस आवेदन पर पिछली सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रार्थी ने आवेदन दायर कर अदालत के समक्ष दलील दी थी कि उनकी नियुक्ति कानूनी तौर पर सही है। ऐसे में उनका नाम याचिका से हटा दिया जाए। 
उधर, अदालत ने कहा कि उपमुख्यमंत्री भी उपरोक्त रिकॉर्ड अथवा अन्य जरूरी रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष रखने के लिए स्वतंत्र हैं। मामले पर सुनवाई 4 नवंबर को होगी। एचआरटीसी से बर्खास्त दो परिचालकों को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से फिलहाल राहत मिली है। अदालत ने परिचालकों को बर्खास्त करने के आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 10 नवंबर को निर्धारित की गई है। अदालत ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि मामले की आगामी सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं को सेवा से बर्खास्त न किया जाए। 
याचिकाकर्ता सुशील कुमार और राजेश कुमार ने प्रबंधन की ओर से जारी बर्खास्तगी आदेशों को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी है। लगेज पाॅलिसी फेल करने का षड्यंत्र रचने के आरोप में परिवहन निगम ने दो परिचालकों को बर्खास्त किया था। निगम की ओर से की गई जांच में अनुबंध पर सेवाएं दे रहे परिचालक परिवहन सेवा आचरण नियम (कंडक्ट रूल), अनुबंध सेवा नियम और निगम की सोशल मीडिया पॉलिसी के उल्लंघन के दोषी पाए गए थे। उपमुख्यमंत्री की अनुशंसा पर निगम प्रबंधन ने यह कार्रवाई की थी।

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