नदी-नाले और झील का पानी जमना शुरू, लोगों को पेयजल के लिए झेलनी पड़ रही दिक्कतें

प्रदेश भर में ऊंचाई वाले इलाकों में जहां बीते दिनों बर्फबारी होने से समूचे प्रदेश में ठंड बढ़ गई है, वहीं बर्फबारी के बाद ऊपरी इलाकों में भी पारा माइनस हो चुका है। इसके चलते नदी-नाले और झीलों का पानी भी जमना शुरू

Dec 10, 2023 - 19:37
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नदी-नाले और झील का पानी जमना शुरू, लोगों को पेयजल के लिए झेलनी पड़ रही दिक्कतें

यंगवार्ता न्यूज़ - लाहुल-स्पीति     10-12-2023

प्रदेश भर में ऊंचाई वाले इलाकों में जहां बीते दिनों बर्फबारी होने से समूचे प्रदेश में ठंड बढ़ गई है, वहीं बर्फबारी के बाद ऊपरी इलाकों में भी पारा माइनस हो चुका है। इसके चलते नदी-नाले और झीलों का पानी भी जमना शुरू हो गया है। इसके अलावा ग्रामीणों को अब पेयजल के लिए भी काफी अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

हालांकि इन दिनों लाहुल-स्पीति में मौसम साफ चल रहा है, लेकिन सुबह व शाम कड़ाके की ठंड के चलते पेयजल पाइप का जमना शुरू हो गई है। ऐसे में अब स्थानीय लोगों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। इसके अलावा लाहुल-स्पीति के योचे गांव की बात करें, तो यहां पर भी लोगों ने अब अपना पलायन शुरू कर दिया है।

लाहुल घाटी की दारचा पंचायत के योचे गांव की आबादी 119 लोगों की है। स्थानीय ग्रामीण के अनुसार इस समय योचे गांव से 82 लोग बाहर हैं। इसमें कुछ सरकारी कर्मचारी और बाहर पढऩे वाले बच्चे शामिल हैं, लेकिन योचे गांव के करीब 62 लोगों को मुलभूत सुविधाओं के अभाव में गांव से बाहर जाना पड़ा है। 

दारचा पंचायत के पूर्व प्रधान बलदेव का कहना है कि योचे गांव दुर्गम है और इस गांव में स्वास्थ्य सुविधा संचार सेवा न होने से लोगों को दिक्कत उठानी पड़ती है। इसके अलावा ग्रामीणों के बीमार होने की हालत में उन्हें दवाई के लिए 12 किलोमीटर दूर पीएचसी दारचा जाना पड़ता है। गांव में संचार व्यवस्था ठीक न होने का कारण लोगो को फोन करने और सुनने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है। 

कई बार गांव की यह समस्या सरकार तक रखी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। वहीं अटल टनल लाहुल के लोगों के लिए किसी बरदान से कम नहीं है। इससे घाटी के लोगों को काफी राहत मिली है, लेकिन घाटी के दुर्गम इलाकों में अभी भी हालात बेहतर नहीं हैं। बर्फबारी के बाद अब घाटी के इलाकों का तापमान माइनस 5 से 30 तक जा रहा है, जिस कारण पेयजल पाइप जम रही है।

लाहुल-घाटी ग्रामीण किशन लाल, बलदेव ठाकुर, संगती शासनी, अमर नाथ शाशनी व जसवंत सिंह, दिनेश का कहना है कि बर्फबारी के बाद पारा माइनस में होने के चलते अब सबसे ज्यादा समस्या पेयजल की झेलनी पड़ रही है। 

पहाड़ों पर प्राकृतिक जल स्रोत ठंड के कारण जम रहे हैं और अपने पशुओं को भी उन्हें पानी पिलाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। तंदूर पर बर्फ पिघलाकर पानी पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

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