मंदिरों के रखरखाव और उनकी जर्जर हालत को सुधारने को मिलेंगी अनुदान राशि 

देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल के पुराने मंदिरों के रखरखाव और उनकी जर्जर हालत को सुधारने की दिशा में प्रदेश सरकार के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने कदम आगे बढ़ाया है। विभाग की ओर से प्रदेशभर के पुरातन मंदिरों के रखरखाव के

Jul 30, 2023 - 13:25
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मंदिरों के रखरखाव और उनकी जर्जर हालत को सुधारने को मिलेंगी अनुदान राशि 

यंगवार्ता न्यूज़ - हमीरपुर     30-07-2023

देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल के पुराने मंदिरों के रखरखाव और उनकी जर्जर हालत को सुधारने की दिशा में प्रदेश सरकार के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने कदम आगे बढ़ाया है। विभाग की ओर से प्रदेशभर के पुरातन मंदिरों के रखरखाव के लिए अनुदान राशि दी जा रही है, ताकि देवभूमि की इन ऐतिहासिक धरोहरों को संजोया जा सके। 

इन पुराने मंदिरों के रखरखाव के लिए विभाग की ओर से प्रति मंदिर को उसकी कंडीशन और जरूरत के हिसाब से अधिकतम 25 लाख रुपए तक की राशि का प्रावधान किया गया है। 

प्रदेश सरकार द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से प्रदेश भर की सांस्कृतिक विरासतों के संवद्र्धन व संरक्षण के लिए आवर्ती निधि योजना एवं धार्मिक संस्थानों, पुरातन स्मारकों व पुरास्थलों के लिए सहायता अनुदान योजना के अंतर्गत अनुदान राशि प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।

आवर्ती निधि योजना के अतंर्गत वे मंदिर शामिल होंगे जिनकी भूमि विभिन्न भू-सुधार अधिनियमों (1953, 1972) के तहत मुजारों, सरकार में निहित हुई है तथा इस कारण बिना आय स्रोतों के मंदिरों का रख-रखाव व पूजा-अर्चना का कार्य ठीक से नहीं हो पा रहा है। 

धार्मिक संस्थानों, पुरातन स्मारकों व पुरास्थलों के लिए सहायता अनुदान योजना के अंतर्गत ऐसे मंदिर जो ऐतिहासिक हो, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध एवं 50 वर्ष प्राचीन हों, लकड़ी या फिर पत्थर के बने हों वे सभी योजना के लिए पात्र हैं। 

बता दें कि प्रदेश के जिला सिरमौर, चंबा, कुल्लू, मंडी और कांगड़ा जिला में अन्य जिलों की अपेक्षा ऐतिहासिक मंदिर अधिक हैं। वहीं निक्कू राम, जिला भाषा अधिकारी हमीरपुर ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से सांस्कृतिक विरासतों के संवद्र्धन व संरक्षण के लिए आवर्ती निधि योजना एवं धार्मिक संस्थानों, पुरातन स्मारकों व पुरास्थलों के लिए सहायता अनुदान योजना के अंतर्गत अनुदान राशि प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।

किसी भी पुरातन मंदिर के संरक्षण एवं संवर्धन लिए ली जाने वाली राशि के लिए मंदिर समितियों को जिला भाषा अधिकारी के कार्यालय में आकर एक फार्म लेकर भरना होगा। इसमें मंदिर का इतिहास, मंदिर की जानकारी और मंदिर के दो फोटो लगाकर पटवारी की रिपोर्ट लगाकर जिला भाषा अधिकारी कार्यालय में जमा करवाने होंगे।

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