मशरूम प्लांट लगाने वाली भावना की ‘भावना’ को हर कोई कर रहा सलाम
बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद केवल सरकारी नौकरियों के पीछे भागने या फिर प्राइवेट सैक्टर में जैसे-तैसे नौकरी के लिए मशक्कत करने से कहीं अच्छा है अपना कोई उद्यम स्थापित करना या घर में ही अपने संसाधनों से स्वरोजगार के अवसर पैदा करना.....
यंगवार्ता न्यूज़ - हमीरपुर 05-01-2025
बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद केवल सरकारी नौकरियों के पीछे भागने या फिर प्राइवेट सैक्टर में जैसे-तैसे नौकरी के लिए मशक्कत करने से कहीं अच्छा है अपना कोई उद्यम स्थापित करना या घर में ही अपने संसाधनों से स्वरोजगार के अवसर पैदा करना।इस तरह का जज्बा रखने वाले युवाओं को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार भी विभिन्न सब्सिडी योजनाओं के माध्यम से भरपूर मदद प्रदान कर रही है।
इसी तरह की एक योजना का लाभ उठाकर हमीरपुर के निकटवर्ती गांव भारीं की एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवती भावना राणा ने अपने घर में ही मशरूम का प्लांट लगाकर तथा इस प्लांट से लाखों की आय अर्जित करके सभी युवाओं के लिए एक मिसाल पेश की है। उसने यह प्लांट लगाकर सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि अन्य 10-12 लोगों को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया है।
भावना की उद्यमी बनने की इस ‘भावना’ को आज हर कोई सलाम कर रहा है। भावना का यह सपना पूरा हो पाया है उद्यान विभाग की मशरूम सब्सिडी योजना के कारण। दरअसल, देहरादून से फूड टैक्नोलॉजी में डिग्री पूरी करने के बाद भावना राणा कॉरपोरेट सैक्टर में अच्छी नौकरी की तलाश में थी। कुछ समय तक उसने रियल एस्टेट के कारोबार में भी हाथ अजमाया, लेकिन उन्हें यह कारोबार भी ज्यादा नहीं भाया।
इस बीच, उन्हें उद्यान विभाग की एक योजना के बारे में पता चला, जिसमें मशरूम का प्लांट लगाने के लिए 30 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है। भावना ने उद्यान विभाग से 30 प्रतिशत सब्सिडी और विभागीय अधिकारियों से मार्गदर्शन प्राप्त करके घर में ही 200 बैग के साथ मशरूम की खेती आरंभ की। कुछ महीनों में ही उसका यह नया काम ठीक चल पड़ा।
इससे उत्साहित होकर उन्होंने मशरूम प्लांट का विस्तार किया तथा लोकल मार्केट में नियमित रूप से सप्लाई आरंभ की। अब पीक सीजन में वह रोजाना मशरूम के 800 से 1000 पैकेट बाजार में भेज रही हैं।
भावना ने बताया कि अब वह अपने पूरे प्लांट में अलग-अलग लॉट्स में मशरूम उगा रही हैं, ताकि मार्केट में सप्लाई का सर्कल रेगुलर चलता रहे। उन्होंने गांव की 6-7 महिलाओं को भी काम पर लगा रखा है। इन महिलाओं के अलावा कुछ अन्य लोगों की भी अप्रत्यक्ष रूप से इसी प्लांट से रोजी-रोटी चल रही है।
प्रदेश सरकार और उद्यान विभाग का आभार व्यक्त करते हुए भावना का कहती हैं कि इन्हीं के कारण आज वह एक सफल उद्यमी एवं प्रगतिशील किसान बनने की ओर अग्रसर हुई हैं।
What's Your Reaction?