हाटी आरक्षण बिल पर पुर्नविचार करें सरकार , गुर्जर समुदाय ने की मांग

हाटी समुदाय को दिया गया आरक्षण संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। जिसकी कारण गुर्जर समेत अन्य जनजातियों के हितों का हनन होगा। यह बात नाहन में आयोजित संयुक्त पत्रकार वार्ता में गुज्जर कल्याण परिषद सिरमौर और  युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कही। प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद गुज्जर समाज कल्याण परिषद सिरमौर के उपाध्यक्ष हेमराज चौधरी , महासचिव सोमनाथ भाटिया , युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति प्रदेश अध्यक्ष अनिल गोरसी

Oct 21, 2023 - 19:11
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हाटी आरक्षण बिल पर पुर्नविचार करें सरकार , गुर्जर समुदाय ने की मांग
यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन  21-10-2023
हाटी समुदाय को दिया गया आरक्षण संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। जिसकी कारण गुर्जर समेत अन्य जनजातियों के हितों का हनन होगा। यह बात नाहन में आयोजित संयुक्त पत्रकार वार्ता में गुज्जर कल्याण परिषद सिरमौर और  युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कही। प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद गुज्जर समाज कल्याण परिषद सिरमौर के उपाध्यक्ष हेमराज चौधरी , महासचिव सोमनाथ भाटिया , युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति प्रदेश अध्यक्ष अनिल गोरसी , युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति व किनशुक गुर्जर आदि ने बताया कि हाटी नाम के किसी समुदाय का कोई ऐतिहासिक, सामाजिक प्रमाण नहीं है तो फिर उन्हे जनजाति कैसे घोषित किया जा सकता है। 
उन्होंने कहा कि लोकुर कमेटी के मापदंडों को हाटी समुदाय पूरा नहीं करता और मापदंडों को दरकिनार कर राजनीतिक लाभ के लिये उन्हें एसटी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरटीआई द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार हाटी जाति या समुदाय रेवेन्यू या किसी अन्य सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है तो फिर हाल ही में आई नोटिफिकेशन को कैसे लागू किया जायेगा। अब हाटी नेता कह रहे है कि रेवेन्यू रिकॉर्ड को बदल कर हाटी समुदाय को दर्ज किया जाए जो कि अनैतिक , असंवैधानिक और गैर कानूनी है। हम इसका घोर विरोध करते है।

जैसे केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को एसटी में डालने वाले विधेयक को गुज्जर बकरवाल समुदाय के विरोध के बाद वापिस लिया उसी तर्ज पर हिमाचल की  जनजातियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए हाटी आरक्षण पर भी पुनर्विचार किया जाये। गुज्जर कल्याण परिषद सिरमौर और  युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति ने कहा कि रेवेन्यू रिकॉर्ड में कोई बदलाव नहीं किया जाए। टीआरटीआई की रिपोर्ट ( एथनोग्राफिक् डाटा ) में मौजूद खामियों को पुनः अवलोकन किया जाए और उसमे जो काल्पनिक बातें लिखी गयी है। 
उन्हे हटा कर वास्तविक् तथ्यों के आधार रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। गिरिपार के क्षेत्र और हाटी समुदाय के पिछड़ेपन का कोई आंकड़ा न तो टीआरटीआई की रिपोर्ट में है और ना ही राज्य सरकार की सिफारिश मे है। सरकार पिछड़ेपन को मापने के लिए सेवानिवृत्ति हाई कोर्ट के जज के नेतृत्व में विशेष कमीशन या कमेटी स्थापित कर वास्तविक स्थिति के आधार पर रिपोर्ट पेश करे। एसटी के वर्तमान कोटे में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाए और वर्तमान के प्रतिशत को यथावत रख इस श्रेणी से बाहर अन्य समुदाय को आरक्षण दिया जाये।

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