वास्तव में युगपुरुष थे डा. यशवंत सिंह परमार , पूरे प्रदेश का किया समान विकास 

संसार में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें भुला पाना बड़ा मुश्किल होता है। ऐसी ही शासियत के धनी थे  हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार। डा. परमार को यदि युग पुरुष कहा जाए तो भी कोई अतिशयोक्ति न होगी! उन्होंने न केवल हिमाचल का निर्माण किया , बल्कि पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल में विलय कर वृहद हिमाचल का गठन किया। चार अगस्त 1906 को जिला सिरमौर की पच्छाद तहसील के चन्हालग में जन्मे डा. वाईएस परमार ने न केवल वकालत की डिग्री हासिल की थी

Aug 4, 2025 - 18:02
 0  19
वास्तव में युगपुरुष थे डा. यशवंत सिंह परमार , पूरे प्रदेश का किया समान विकास 
रमेश पहाड़िया - नाहन  04-08-2025


संसार में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें भुला पाना बड़ा मुश्किल होता है। ऐसी ही शासियत के धनी थे  हिमाचल निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार। डा. परमार को यदि युग पुरुष कहा जाए तो भी कोई अतिशयोक्ति न होगी! उन्होंने न केवल हिमाचल का निर्माण किया , बल्कि पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल में विलय कर वृहद हिमाचल का गठन किया। चार अगस्त 1906 को जिला सिरमौर की पच्छाद तहसील के चन्हालग में जन्मे डा. वाईएस परमार ने न केवल वकालत की डिग्री हासिल की थी, बल्कि लखनऊ विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की थी। 
उन्होंने कभी भी अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्रबाद तथा भाई भतीजा बाद को बढ़ावा नहीं दिया डा. परमार ने हमेशा ही पूरे राज्य के समान विकास की पैरवी की। वृहद हिमाचल का गठन होने के बाद उन्होंने कि जहां शिमला जिला मैं सेब क्रांति लाई , वहीं प्रदेश के निचले क्षेत्रों में नीबू , संतरा व अन्य फलों को बढ़ाया दिया। डा.  परमार ने सिरमौर को छोड़ अन्य सभी जिलों का विकास करवाया। उनका मानना था कि अपने गृह क्षेत्र के विकास से पहले अन्य क्षेत्रों का विकास लाजमी है। यही कारण है एक आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी सिरमौर पिछड़ा है। 
मगर विडंबना यह है कि किसी भी राजनेता ने सिरमौर के विकास को तरजीह नहीं दी। यही नहीं हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चन्हालग आज भी उपेक्षित है।  जबकि प्रदेश सरकार को डा. परमार के घर को प्रदेश की धरोहर घोषित किया जाना चाहिए ! गौर हो कि पूर्व सरकार ने डा. परमार की जन्म स्थली पर उनकी 100वी जयन्ती घर स्मारक बनाने की घोषणा की बात कही की थी , परन्तु यह घोषणा दम तोड़ चुकी है। मजेदार बात तो यह है कि हिमाचल को इतनी बड़ी विरासत छोड़ने वाले डा.  परमार ने कभी भी अपना व अपने परिवार का स्वार्थ नहीं सोचा ! 
डा. परमार, वास्तव में साधु पुरुष में। भले हो प्रदेश सरकार ने डा. परमार के नाम पर डाक टिकट जारी किया है, मगर जिला वासियों ने आजतक उस डाक टिकट के दीदार नहीं किए है। जिला वासियों की मांग है कि युगपुरुष एवं हिमाचल निर्माता डा. परमार को भारत रत्न के लिए प्रदेश सरकार पहल करे। साथ ही स्कूली पाठ्यक्रम में डा. वाईएस परमार की जीवनी को शामिल करने की मांग की है। 

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow