हिमाचल के 25 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स बनाने को तैयार नहीं कोई कंपनी , 35 परियोजनाओं की होनी है री-अलॉटमेंट

हिमाचल प्रदेश को भले ही ऊर्जा राज्य माना जाता है, परंतु यहां कोई भी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट लेने के लिए अब तैयार नहीं है। सालों से यहां हाइड्रो पावर के लिए कोई आवेदन नहीं आए हैं। पूर्व सरकार ने भी पॉलिसी में बदलाव करके प्रयास किए थे, मगर किसी ने कदम आगे नहीं बढ़ाए और अब वर्तमान सरकार के पास भी कोई आवेदन नहीं है। 25 नए प्रोजेक्ट सरकार के पास प्रस्तावित हैं, जिनको आबंटित नहीं किया जा सका है , वहीं 35 पुराने ऐसे प्रोजेक्ट भी हैं

Aug 22, 2024 - 18:34
Aug 22, 2024 - 19:27
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हिमाचल के 25 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स बनाने को तैयार नहीं कोई कंपनी , 35 परियोजनाओं की होनी है री-अलॉटमेंट
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  22-08-2024

हिमाचल प्रदेश को भले ही ऊर्जा राज्य माना जाता है, परंतु यहां कोई भी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट लेने के लिए अब तैयार नहीं है। सालों से यहां हाइड्रो पावर के लिए कोई आवेदन नहीं आए हैं। पूर्व सरकार ने भी पॉलिसी में बदलाव करके प्रयास किए थे, मगर किसी ने कदम आगे नहीं बढ़ाए और अब वर्तमान सरकार के पास भी कोई आवेदन नहीं है। 25 नए प्रोजेक्ट सरकार के पास प्रस्तावित हैं, जिनको आबंटित नहीं किया जा सका है , वहीं 35 पुराने ऐसे प्रोजेक्ट भी हैं , जिनको री-अलॉट किया जाना था। सूत्रों के अनुसार अगली कैबिनेट बैठक में इस दिशा में सरकार कोई निर्णय लेगी, क्योंकि इस संंबंध में अधिकारियों से जानकारी मांगी गई है। 
सूत्र बताते हैं कि ऊर्जा निदेशालय से इसपर विस्तार से कुछ सूचनाएं मांगी गई हैं, जिसमें पूछा गया था कि कितने प्रोजेक्ट कहां-कहां पर लंबित हैं और अब तक कितने आवेदन आए हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी जिसमें वांछित जानकारी ली गई है। सरकार चाहती है कि जो पुराने प्रोजेक्ट अलॉट किए गए हैं और जो पूरे नहीं हो पा रहे हैं, जिन पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है, उनको दोबारा से दिया जाए। संबंधित कंपनी के साथ दोबारा नए सिरे से एमओयू हो, जिसमें उनको राहत भी दी जाए और शर्तों को भी जोड़ा जाए, मगर इस मामले में भी अभी तक कुछ नहीं हो पाया है। सीएम ने अधिकारियों से इस पर कुछ सूचनाएं भी मांगी थीं और निर्देश भी दिए हैं। 
उम्मीद है कि अगली कैबिनेट बैठक में इस मामले को लाया जा सकता है। 24 अगस्त को कैबिनेट होगी ऐसा माना जा रहा है, लेकिन अभी तक इसका पत्र जारी नहीं हुआ है। इस वजह से थोड़ा असमंजस चल रहा है, मगर ऊर्जा क्षेत्र को लेकर सरकार को कई बड़े बदलाव करने जरूरी हैं, ताकि यहां पर हाइड्रो पावर सेक्टर आगे बढ़ सके। सालों से इसकी रफ्तार रुक गई है। नए प्रोजेक्ट लेने को कोई नहीं आ रहा और पुरानी परियोजनाएं पूरी तरह से फंसी हुई हैं। कई मामले एनओसी के कारण अटके हैं, तो कइयों को वन मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली है। यह भी बताया जा रहा है कि वन मंत्रालय के पास जो परियोजनाएं अटकी हुई हैं, उनको लेकर पत्राचार करने के लिए वन विभाग को निर्देश दिए गए हैं।
यहां पर पावर पॉलिसी में बदलाव के संबंध में भी कहा गया है। पॉलिसी को उत्पादकों के माफिक बनाने के साथ राज्य को ज्यादा फायदा हो, इस पर फोकस किया जा रहा है। सरकार ने सौर ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयत्न किए हैं। साथ ही पंप ऑपरेटिड प्रोजेक्ट्स के लिए भी नीति में बदलाव होगा, क्योंकि पूर्व सरकार द्वारा बनाई गई पॉलिसी में एक भी परियोजना का मसौदा नहीं मिला है। जो प्रस्ताव पहले आए थे, वे आगे नहीं बढ़ पाए हैं, जिसके बाद अभी कोई प्रोजेक्ट प्रस्तावित नहीं है, जबकि पंप ऑपरेटिड प्रोजेक्टों की संभावनाएं यहां पर काफी हैं।

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