अंतर्राष्ट्रीय गोवा फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी बनियाबीन की कश्ती , जल संरक्षण का संदेश देती है बाल फिल्म 

जिला सिरमौर के गांव नौरंगाबाद के एक बच्चे बनियाबीन और उसकी टोली पर बनी संदेश प्राप्त फिल्म बनियाबीन की कश्ती गोवा में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय गोवा फिल्म महोत्सव में दिखाई जाएगी। फिल्म महोत्सव में आधिकारिक चयन की सूचना फिल्म उत्सव के निदेशक डॉक्टर गौरी नंदन रावत ने दी है। फिल्म उत्सव नवंबर माह में प्रतिवर्ष की तरह आयोजित किया जा रहा

Sep 11, 2024 - 19:54
Sep 11, 2024 - 20:09
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अंतर्राष्ट्रीय गोवा फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी बनियाबीन की कश्ती , जल संरक्षण का संदेश देती है बाल फिल्म 
यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन   11-09-2024
जिला सिरमौर के गांव नौरंगाबाद के एक बच्चे बनियाबीन और उसकी टोली पर बनी संदेश प्राप्त फिल्म बनियाबीन की कश्ती गोवा में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय गोवा फिल्म महोत्सव में दिखाई जाएगी। फिल्म महोत्सव में आधिकारिक चयन की सूचना फिल्म उत्सव के निदेशक डॉक्टर गौरी नंदन रावत ने दी है। फिल्म उत्सव नवंबर माह में प्रतिवर्ष की तरह आयोजित किया जा रहा है। फिल्म राजकीय उच्च विद्यालय नौरंगाबाद के एक सातवीं कक्षा के छात्र बनियाबीन और उसकी शरारती टोली की रचनात्मक शरारतों पर एक दस्तावेजी और प्रयोगात्मक फिल्म है , जो भविष्य के लिए जल संरक्षण का संदेश देती है। फिल्म की अवधि 10 मिनट 14 सेकंड है। फिल्म की पटकथा लेखन व निर्देशन डॉक्टर संजीव अत्री ने किया है। 
डॉ संजीव अत्री ने बताया की फिल्म में सभी बाल कलाकारों की प्राकृतिक गतिविधियों को फिल्माकर पटकथा में पिरोया गया है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म को बनाने में विद्यालय की शिक्षिकाओं ने भी फिल्म निर्माण में विभिन्न प्रबंध कार्यों में अपना सहयोग दिया था , जिसमें बीना जैन , पूनम , शालिनी वर्मा व विजय कुमारी मुख्य रूप से शामिल हुई फिल्म की कहानी में यूं तो नौरंगाबाद गांव से शुरू होती है जो शहर के दूर और वहां जहां पानी की कमी है पर फिल्माया गया है। वैसे तो फिल्म नौरंगबाद विद्यालय के एक शरारती छात्र  बनियाबीन और उसकी शरारती टोली के इर्द-गिर्द घूमती यह फिल्म पहले भी काफी सुर्खियां बटोर चुकी है। टोली गांव के शरारती तत्व के लिए मशहूर मानी जाती है। 
पढ़ाई में इनकी कोई खास रुचि नहीं है। एक दिन कक्षा में एक शिक्षिका बच्चों को कागज की कश्ती बनाना सिखाती है और साथ ही शिक्षिका ने अपने बचपन के अनुभव भी छात्रों से शेयर किया। शिक्षिका ने बताया कि अपने बचपन में ऐसी किश्तियों को बहते पानी में चलाने का मजेदार अनुभव था। यह बात पूरी टोली को बहुत आकर्षित करती है। पूरी की पूरी टोली घर जाकर किश्ती बनाने की कोशिश करती है। किश्ती तो बनाई जाती है पर उसे चलाने के लिए बहता हुआ पानी नहीं मिलता गांव की गंदी नाली में किश्ती चलाने की कोशिश की जाती है। 
पूरी टोली गांव के आसपास जहां भी बहते पानी का पता चलता है दौड़ दौड़ कर पानी ढूंढते हैं , पर कहीं भी नदी नाले ऐसे नहीं मिले जो बहता हो सभी नदी नाले सूख चुके थे। कहीं तालाबों की जगह भवन बन चुके थे किश्ती चलाने के लिए घर से पानी चुराने की कवायत में टोली को मार भी पड़ती है पर फिल्म बनियाबीन और उसकी टोली किश्ती चलाने के लिए बाल बुद्धि से जिस कौशल एवं तकनीक का प्रयोग करती है वह पानी के बारे में एक बड़ा संदेश दे जाती है। 

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