निराशाजनक रहा केंद्र सरकार के अन्तरिम बजट , चंडीगढ़ मेयर का चुनाव लोकतंत्र की हत्या : नरेश चौहान

केंद्र सरकार के अंतरिम बजट को मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह सरकार का अंतरिम बजट था , लेकिन इसमें किसी भी वर्ग के लिए कुछ खास नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्यवर्ग को सरकार से उम्मीद थी

Feb 2, 2024 - 18:56
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निराशाजनक रहा केंद्र सरकार के अन्तरिम बजट , चंडीगढ़ मेयर का चुनाव लोकतंत्र की हत्या : नरेश चौहान

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  02-02-2024
केंद्र सरकार के अंतरिम बजट को मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह सरकार का अंतरिम बजट था , लेकिन इसमें किसी भी वर्ग के लिए कुछ खास नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्यवर्ग को सरकार से उम्मीद थी, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। रेलवे, पर्यटन जैसे क्षेत्र के लिए कुछ खास इस बजट में नहीं देखने को मिला। प्रदेश में आपदा आई थी और केंद्र से जो मदद मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली है। बजट में केंद्र सरकार को अलग से हिमाचल के लिए प्रावधान करना चाहिए था। 
नरेश चौहान ने कहा कि हिमाचल की उम्मीदों के मुताबिक भी यह बजट निराशाजनक ही साबित हुआ है। चंडीगढ़ नगर निगम में हुए प्रकरण को लेकर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ बताया है। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके शासनकाल में लोकतंत्र ऐसे स्तर पर पहुंच गया है , जहां जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को बल के प्रयोग से दबाने का काम किया जा रहा है। वहीं इस दौरान नरेश चौहान ने केंद्रीय अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक है। 
देश का मध्यवर्ग हो या हिमाचल प्रदेश किसी की भी उम्मीद पर यह बजट खरा नहीं उतरा है। नरेश चौहान ने कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम में बहुमत कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पास था , लेकिन जिस तरह से भाजपा ने अपना वहां मेयर नियुक्त किया वह दुर्भाग्यपूर्ण है। नरेश चौहान ने कहा कि भाजपा ने जनता से मिले बहुमत को दरकिनार कर दिया। आठ मतों को इनवेलिड करार देते हुए भाजपा ने अपना मेयर नियुक्त किया। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के बाद देश में लोकतंत्र ऐसे स्तर पर पहुंच गया है जहां जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को बल के प्रयोग से दबाने का काम किया जा रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

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