हाटी समुदाय को जो जनजातीय दर्जा मिला है उसे तुरंत लागू करें सरकार : डॉ.कमल

 हाटी केंद्रीय समिति के अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल ने कहा कि हाटी समुदाय को जो जनजातीय दर्जा मिला है। उसे सरकार को तुरंत लागू करना चाहिए। इसकी 4 अगस्त 2023 को गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुकी है। गिरिपार क्षेत्र में हाटी समुदाय के बच्चों के जनजातीय प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच साल बाद विभिन्न सरकारी पदों के लिए जॉब वैकेंसी निकली है,

Nov 3, 2023 - 19:16
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हाटी समुदाय को जो जनजातीय दर्जा मिला है उसे तुरंत लागू करें सरकार : डॉ.कमल

 यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन  03-11-2023

 हाटी केंद्रीय समिति के अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल ने कहा कि हाटी समुदाय को जो जनजातीय दर्जा मिला है। उसे सरकार को तुरंत लागू करना चाहिए। इसकी 4 अगस्त 2023 को गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुकी है। गिरिपार क्षेत्र में हाटी समुदाय के बच्चों के जनजातीय प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच साल बाद विभिन्न सरकारी पदों के लिए जॉब वैकेंसी निकली है,लेकिन एसटी प्रमाणपत्र न बन पाने के कारण युवाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह पूछे जाने पर कि प्रदेश सरकार क्या इस मामले को जानबूझकर देरी कर रही है। इस पर डॉ. कमल ने स्पष्ट किया कि सरकार का उन्हें पूर्ण सहयोग मिल रहा है। 
सरकार ने 23 दिन में ही रिपोर्ट तैयार करके केंद्र को भेज दी थी। इस मामले में सीएम ने खुद सारी बात समझी और तुरंत एक्शन भी लिया। सिरमौर के लोग तो समृद्ध हैं, ऐसे में जनजातीय क्यों? इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि सिरमौर का कल्चर समृद्ध है, लेकिन लोग नहीं। हम लोग जहां, दीपावली मनाते हैं, वहीं बूढ़ी दिवाली भी मनाते हैं। मंगशराली भी मनाते हैं। विवेक तिवारी की डाक्यूमेंट्री फिल्म , सांस्कृतिक दल जालग और शिलाई में आत्मा राम शर्मा और कपूर का दल हमारी समृद्ध संस्कृति के परिचायक हैं। उन्होंने कहा कि सिरमौर में 28 पिछड़ी पंचायतों में 25 पंचायतें गिरिपार की है। 
प्रति व्यक्ति आय या अन्य नीति आयोग के सर्वे में सिरमौर पिछड़ा है। शिक्षा के मामले भी सिरमौर का पिछड़ापन किसी से छुपा नहीं है।
 2005 , 2006 और 2017 में यह आपत्ति आई थी कि हाटी शब्द नहीं मिल रहा है। सिरमौर जिला में 1928-31 के बीच हुई सेटलमेंट के लिए पटियाला से लोग आए थे। उन्होंने कहा कि 1955 में शजरा-नसब यानी वंशावली को चेंज किया जो खश / कनैत थे , उन्हें राजपूत और जो भाट थे , उन्हें ब्राह्मण बना दिया गया। ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट 1996 में इसका सर्वे किया। 
यह सर्वे पहली बार हुआ। पंजाब की सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने 2018-19 हाटी विषय पर पीएचडी की। इसमें कनैत और भाट का उल्लेख है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में इंटीग्रेशन ऑफ हाटी पर यूजीसी ने हाटी पर  एक प्रोजेक्ट दिया, जिसमें हाटी शब्द का उल्लेख है। सारे डाक्यूमेंट आ चुके हैं। इस मौके पर हाटी समिति सोलन के प्रधान योग राज चौहान , प्रदीप मंमगाई , सुभाष अत्रि , जयप्रकाश , कमल सिंह कमल , उमेश कमल , विनय भगनाल , विवेक तोमर , सुनील ठाकुर , शमशेर ठाकुर , राजेंद्र छाजटा , बृजमोहन चौहान व विवेक तोमर भी मौजूद रहे।

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