हिमाचल और उत्तराखंड को जोड़ने वाले पुल पर मंडरा रहा मौत का खतरा , दोनों राज्यों की सरकारें बेबस

हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड राज्य की सीमा को जोड़ने वाला यमुना नदी पर बने लगभग 5 दशक पुराना पुल खतरे की जद में है। मजेदार बात तो यह है कि उत्तराखंड सरकार और हिमाचल सरकार बस एक दूसरे पर इस जिम्मेदारी को डालती है , लेकिन अभी तक इस ओर सिर्फ बातचीत के अलावा धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ है। हैरानी की बात ये है की राजनेता भी अभी तक इस पुल के निर्माण में बेबस नजर आई

Nov 15, 2023 - 18:21
 0  127
हिमाचल और उत्तराखंड को जोड़ने वाले पुल पर मंडरा रहा मौत का खतरा , दोनों राज्यों की सरकारें बेबस

अंकिता नेगी - पांवटा साहिब  15-11-2023

हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड राज्य की सीमा को जोड़ने वाला यमुना नदी पर बने लगभग 5 दशक पुराना पुल खतरे की जद में है। मजेदार बात तो यह है कि उत्तराखंड सरकार और हिमाचल सरकार बस एक दूसरे पर इस जिम्मेदारी को डालती है , लेकिन अभी तक इस ओर सिर्फ बातचीत के अलावा धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ है। हैरानी की बात ये है की राजनेता भी अभी तक इस पुल के निर्माण में बेबस नजर आई है। बेलगाम खनन माफिया और सुस्त जिम्मेदार विभागों की लापरवाही पुल के अस्तित्व पर खतरा बन गई है। पुल की क्षमता से अधिक भार वाले हजारों वाहन रोज गुजर रहे हैं। 
अब तो कई लोग इस पुल को पार करने में भी डरते हैं, इतना ही नहीं किसी प्रदेश का सीमाद्वार ही शहर का राज्य का विकास बताता है , लेकिन आप हिमाचल के विकास का अंदाजा इस खोखले हो रहे पुल से लगा सकते हैँ। बता दे कि यह पुल भारी वाहन 16 चक्का 20 चक्का ओवरलोड भरे वाहनों के चलते खतरे में है। दोनों राज्यों की सीमाओं को जोड़ने वाले इस पुल का कुछ हिस्सा हिमाचल प्रदेश का है और कुछ हिस्सा उत्तराखंड राज्य में पड़ता है , लेकिन दोनों ही राज्य के शासन-प्रशासन में प्रतिनिधित्व करने वाले अपनी आंखें मूंदे बिल्कुल अनजान बने बैठे हैं। गौर हो कि हिमाचल प्रदेश के राजस्व में एक अच्छी खासी आमदनी का हिस्सा इस पुल से जाता है। 
शायद इसी लाभ के चलते इस पुल के ऊपर से गुजरने वाले लोगों का जीवन खतरे में डाला जा रहा है। अक्सर इस पांवटा - कुल्हाल पुल पर जाम की स्थिति देखने को मिलती है। पुल पर खड़े यात्री वाहन बराबर से गुजरने वाले वाहनों से पुल पर होने वाली कंपन से खुद को सहमा और डरा महसूस करते हैं लेकिन दोनों राज्यों के प्रशासन में बैठे अधिकारियों को आम जनमानस की जान की कोई परवाह ही नहीं है। पुल की इस दयनीय हालत को महसूस करते हुए कई समाजसेवी संस्था के पदाधिकारियों ने डीसी सिरमौर , एसपी सिरमौर और एसडीएम पांवटा समेत कई संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में लेटर लिख चेताया भी और उचित कार्रवाई करने के लिए भी कहा। 
साथ ही पुल की सुरक्षा को लेकर कुछ सुझाव भी इनके द्वारा दिए गए, जिनमें से मुख्य सुझाव टैक्स बैरियर , एक्साइज टैक्सेशन को किसी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना था जिससे पुल के ऊपर लगने वाले जाम से मुक्ति मिल सके और भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया जाए। साथ ही वाहनों की स्पीड लिमिट तय कर देनी चाहिए जैसे बस और हल्के लोडिंग वाहनों की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटा , कार व बाइक की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए। कुछ समय पूर्व पीडब्ल्यूडी और राष्ट्रीय राजमार्ग के विशेषज्ञों की टीम ने यह माना था कि पुल को अत्यधिक कंपन से रोकने के लिए भारी डंपर और ओवरलोड वाहनों का पुल पर प्रवेश वर्जित कर दिया जाना चाहिए।

भविष्य में किसी होने वाली अप्रिय घटना से बचने के लिए रामपुर घाट पर भारी वाहनों की आवाजाही के लिए एक पुल का निर्माण भी होना चाहिए, बावजूद इस सब के शासन प्रशासन की अनदेखी का आलम इतना है कि कोई भी इस मामले को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है। उधर एसडीओ एनएच सूर्यकांत ने बताया कि पुल की लगातार जांच की जाती है और रिपेयरिंग वर्क समय समय में किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस पुल के काम को लेकर 17  मार्च को उपायुक्त सिरमौर कार्यालय में डीसी सिरमौर के साथ एक बैठक की गई थी , जिसमे उत्तराखंड के विकासनगर के एसडीएम व हरियाणा के सिंचाई विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में इस पुल के मरम्मत के लिए  वाहनो के रूट चेंज करने को लेकर बात हुई। 

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow