हिमाचल प्रदेश में ग्लोबल वॉर्मिंग के असर से सेब कारोबार में 1,500 करोड़ की गिरावट दर्ज
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से उत्पादन प्रभावित होने के चलते हिमाचल में डेढ़ दशक में सेब कारोबार 1,500 करोड़ रुपये घट गया है। सेब उत्पादन साल-दर-साल कम हो रहा है। चार से छह हजार फीट ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रॉयल डिलीशियस समेत सेब की कई किस्में नहीं उग रही हैं

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 31-07-2025
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से उत्पादन प्रभावित होने के चलते हिमाचल में डेढ़ दशक में सेब कारोबार 1,500 करोड़ रुपये घट गया है। सेब उत्पादन साल-दर-साल कम हो रहा है। चार से छह हजार फीट ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रॉयल डिलीशियस समेत सेब की कई किस्में नहीं उग रही हैं। गुणवत्ता पर भी ग्लोबल वॉर्मिंग का असर पड़ रहा है।
हिमाचल में परंपरागत के बजाय कई विदेशी किस्मों के सेब भी उगाए जा रहे हैं, लेकिन पैदावार पर इसका असर नहीं दिख रहा है। लागत और बीमारियां भी बढ़ रही हैं। सेब का एक कार्टन उगाने और उसे बाजार तक पहुंचाने का खर्च 800 रुपये बैठ रहा है।
इसके अनुपात में रेट नहीं बढ़े हैं। नतीजा, बागवानों की आय भी नहीं बढ़ रही है। प्रदेश में 2010 में रिकॉर्ड 5.11 करोड़ पेटी सेब की पैदावार हुई थी। इस दौरान कारोबार 5,000 करोड़ के आसपास रहता था, लेकिन पिछले डेढ़ दशक में पैदावार घटी है।
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