मणिमहेश यात्रा के दौरान 22 सितम्बर को डल तोड़ने के बाद शुरू होगा राधाष्टमी का शाही स्नान
उत्तरी भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के दौरान 22 सितम्बर दोपहर बाद 1 बजे से पहले डल झील को तोड़ने की परंपरा के बाद अष्टमी के शाही स्नान की शुरूआत होगी। सचुई गांव के त्रिलोचन महादेव के वंशज शिवजी भगवान के गुरों धर्म चंद, विजय कुमार, चमन लाल तथा उत्तम चंद ने बताया कि पुरानी मान्यताओं के अनुसार डल झील को पार करने की परंपरा का निर्वहन सप्तमी के दिन होता है। यानी हर वर्ष यह औपचारिकता सप्तमी को ही निभाई जाती

उल्लेखनीय है कि अपने पैतृक गांव सचुई से शिवजी भगवान के चेले त्रिलोचन महादेव के वंशज यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को सफल यात्रा की अनुमति देने की परंपरा चौरासी मंदिर के प्रांगण में बैठकर निभाते हैं। जब सभी यात्री राधाष्टमी के पवित्र स्नान के लिए भरमौर से रवाना हो जाते हैं तो उसके बाद ही सभी शिवगुर मणिमहेश के लिए रवाना होते हैं। धर्म चंद एवं उत्तम चंद ने बताया कि परंपरानुसार सभी छड़ियां डल झील को तोड़ने की परंपरा के बाद ही पर्वी का स्नान करती हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि डल झील तोड़ने के बाद राधाष्टमी के स्नान की शुरूआत होगी, लेकिन इस बार डल तोड़ने की परंपरा का निर्वहन 22 सितम्बर 1 बजे से पहले होगा और उसके बाद पर्वी का स्नान शुरू होगा जो 23 सितम्बर दोपहर बाद 2 बजे तक जारी रहेगा।
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