फर्स्ट थाईलैंड किक बाॅक्सिंग वर्ल्ड कप में चिढ़गांव की बेटियों ने सिल्वर व कांस्य पदक किए हासिल  

थाईलैंड के बैंकाॅक शहर में 07 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2025 तक आयोजित फर्स्ट थाईलैंड किक बाॅक्सिंग वर्ल्ड कप में जिला शिमला के चिढ़गांव क्षेत्र की दो बेटियों ने पदक जीत कर जिला, प्रदेश व देश का नाम रोशन किया

Apr 16, 2025 - 15:19
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फर्स्ट थाईलैंड किक बाॅक्सिंग वर्ल्ड कप में चिढ़गांव की बेटियों ने सिल्वर व कांस्य पदक किए हासिल  

उपायुक्त ने दी बधाई, दोनों खिलाड़ियों को उनकी उपलब्धि के लिए किया सम्मानित

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    16-04-2025

थाईलैंड के बैंकाॅक शहर में 07 अप्रैल से 12 अप्रैल, 2025 तक आयोजित फर्स्ट थाईलैंड किक बाॅक्सिंग वर्ल्ड कप में जिला शिमला के चिढ़गांव क्षेत्र की दो बेटियों ने पदक जीत कर जिला, प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है। इस प्रतियोगिता में दीक्षिता शिलाल ने सिल्वर पदक और सनिका लल्टवान ने कांस्य पदक हासिल किया है। 

दोनों खिलाडियों ने आज उपायुक्त अनुपम कश्यप से उनके कार्यालय में भेंट की। उपायुक्त ने इस मौके पर सनिका लल्टवान और दीक्षिता शिलाल को सम्मानित भी किया। उपायुक्त ने कहा कि दोनों बेटियों ने केवल क्षेत्र का नाम ही रोशन नहीं किया है बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश सहित देश का नाम भी रोशन किया है। 

उन्होंने कहा कि दोनों खिलाडियों की उपलब्धियां इन्हे अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनाती हैं जोकि खेलों के माध्यम से अपनी अलग पहचान बना सकते हैं। खिलाड़ियों को खेल भावना के साथ हमेशा बेहतर प्रदर्शन करने के लिए खेलना चाहिए। अनुपम कश्यप ने कहा कि नशे से दूर रहने के लिए खेलों को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाना जरूरी है। 

खेलों से जहां शरीर स्वस्थ रहता है वहीं रोजगार के अवसर भी प्राप्त होते हैं। उन्होंने दोनों खिलाडियों को पूरा सहयोग प्रदान करने का भी आश्वासन दिया।
नशे के खिलाफ जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे अभियान में दोनों खिलाड़ियों को अहम भूमिका निभाने का मौका दिया जाएगा ताकि युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। 

सनिका लल्टवान सुपुत्री श्मशेर सिंह गांव संधाड़ी डाकघर खाबल तहसील चिढ़गांव ने फुुल काॅन्टेक्ट माइन्स 56 किलोग्राम की श्रेणी में कांस्य पदक हासिल किया है। सनिका ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने 2016 में वुशु खेलना शुरू किया और वुशु में राज्य स्तरीय खेलों में हिस्सा लिया। फिर 2019 में इंदिरा गांधी खेल परिसर शिमला में ताइक्वांडो भी सीखा और 2020 में ओपन केटेगरी में माइनस 52 किलोग्राम की श्रेणी में कांस्य पदक जीता। 

2023 में असम में सीनियर नेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लिया। 2023 में शिलारू में आयोजित खेलो इंडिया में पहली बार किक बॉक्सिंग में माइनस 56 किलोग्राम की श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद जिला किक बॉक्सिंग सुन्दरनगर में स्वर्ण पदक हासिल किया तथा किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता जलांधर में भी हिस्सा लिया। 

2025 में इंटरनेशनल किक बाॅक्सिंग दिल्ली में माइनस 56 किलो ग्राम की श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता था। सनिका लल्टवार ने बीए की पढ़ाई संजौली काॅलेज से की है और उनकी तीन बहनें और एक भाई है। आम परिवार से सम्बन्ध रखने वाली सनिका को हमेशा माता पिता का पूर्ण सहयोग मिला है। 

वहीं दीक्षिता शिलाल सुपुत्री स्व. केशव राम चौहान गांव डिसवानी डाकघर कलोटी तह. चिढ़गांव ने माइन्स 56 किलोग्राम की श्रेणी में सिल्वर पदक हासिल किया है। 2014 से 2018 तक किक बॉक्सिंग की जिला मण्डी और जिला शिमला के रोहड़ू में आयोजित जिला स्तरीय प्रतियोगिता में उन्होंने सिल्वर पदक हासिल किए। 

2019 में इंटर कॉलेज खेला और कांस्य पदक हासिल किया। 2019 में किक बॉक्सिंग की शुरुआत की और रोहडू में आयोजित जिला स्तरीय प्रतियोगिता, कुल्लू में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता तथा हरियाणा के रोहतक में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया था। 

वर्ष 2020 और 2022 में गोवा में आयोजित नेशनल स्तरीय प्रतियोगिता में सिल्वर पदक हासिल किया। 2023 खेलों इंडिया शिलारू में स्वर्ण पदक और 2024 में सीनियर नेशनल गोवा में कांस्य पदक जीता। 2025 में भारत की पहली ऐसी खिलाड़ी बनी हैं। 

जिन्होंने किक बाक्सिंग की गाला फाईट में स्वर्ण पदक और गाला फाईट बेल्ट हासिल की है। दीक्षिता अपनी बीए फस्र्ट सेमेस्टर की पढ़ाई सीमा काॅलेज रोहडू से कर रही है। उनके पिता का निधन हो चुका है और उनकी तीन बहनें हैं फिर भी उनकी माँ ने हमेशा उन्हें खेलने के लिए प्रेरित किया है। 

सनिका और दीक्षिता ने पिछले वर्ष चिढ़गांव में हिमालयन वाॅरियर मार्शल आर्टस एकेडमी खोली हैं ताकि स्कूली स्तर से ही बच्चों को खेलों के प्रति जोड़ पाएं और अपने क्षेत्र को नशे से बचाने में अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने सभी आभिभावकों से अपील की है कि अपने बच्चों को खेलों से जोड़े और उन्हें नशे से दूर रखने में अपनी भूमिका निभाएं। 

उन्होंने कहा कि एकेडमी तो कहीं भी खोली जा सकती है लेकिन जिस क्षेत्र से हम आती है उस क्षेत्र के प्रति हमारा भी कोई उतरदायित्व बनता है। दोनों खिलाड़ियों ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और किक बाॅक्सिंग कोच वीरेंद्र जगिता को दिया है। 

उन्होंने बताया कि उनके कोच वीरेंद्र जगिता ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया है और अनेको बार उनकी सहायता भी की है। इसके अतिरिक्त, डॉ. संजय यादव ने भी उन्हें समय-समय पर सहयोग प्रदान किया है।   
 

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