विश्व की प्राचीनतम भाषा है संस्कृत , देश की वैदिक संस्कृति के संरक्षण के लिए करने होंगे प्रयास 

भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर द्विदिवसीय राज्य स्तरीय सस्कृत दिवस का आयोजन नेहरू राजकीय संस्कृत महाविद्यालय फागली में किया गया। उक्त कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर राष्ट्रपति पुरस्कार, अभिनव कालिदास, महामहोपाध्याय उपाधि से अलंकृत व हाल ही में हिमाचल गौरव पुरस्कार से विभूषित प्रो केशव शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे

Aug 19, 2024 - 20:01
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विश्व की प्राचीनतम भाषा है संस्कृत , देश की वैदिक संस्कृति के संरक्षण के लिए करने होंगे प्रयास 
 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  19-08-2024
भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर द्विदिवसीय राज्य स्तरीय सस्कृत दिवस का आयोजन नेहरू राजकीय संस्कृत महाविद्यालय फागली में किया गया। उक्त कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर राष्ट्रपति पुरस्कार, अभिनव कालिदास, महामहोपाध्याय उपाधि से अलंकृत व हाल ही में हिमाचल गौरव पुरस्कार से विभूषित प्रो केशव शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। डॉ. मस्त राम शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दी। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. अजय भारद्वाज व डॉ मुकेश कुमार द्वारा किया गया। उप निदेशक, भाषा एवं संस्कृति विभाग कुसुम संघाईक द्वारा अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया गया और सभी को रक्षाबंधन तथा संस्कृत दिवस की बधाइयाँ दी। 
इस अवसर पर फागली महाविद्यालय के छात्र/छात्राओं ने गोपी गीत व वाद्य यंत्र प्रस्तुति की गई। सांस्कृतिक प्रस्तुति के उपरांत अंतर महाविद्यालयीन वैदिक मंत्रोच्चारण, श्लोकोच्चारण, भाषण व संस्कृत गीतिका प्रतियोगिता करवाई गई जिसमें प्रदेश के 20 महाविद्यालयों के लगभग 125 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इन प्रतियोगिताओं में डॉ. श्रीनाथ घर द्विवेदी , डॉ रिपन शर्मा , डॉ. ओम प्रकाश राही , मदन मोहन शर्मा , डॉ लेख राम शर्मा व डॉ विनोद शर्मा निर्णायक की भूमिका में उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त साहित्यिक कार्यक्रम में संस्कृत कवि सम्मेलन का आयोजन करवाया गया जिसमें प्रदेश भर से आए लगभग 30 साहित्यकारों ने अपना-2 कविता पाठ किया। 
इस कवि सम्मेलन में ओम प्रकाश राही , डॉ मनोज शैल, जगत प्रसाद शास्त्री ,  दिलीप वशिष्ठ व लायक राम शास्त्री मुख्य रूप से उपस्थित रहे। विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, साहित्यकारों, अन्य गणमान्यों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा को बचाने व प्रचार-प्रसार करने के लिए संस्कृत विद्वान, संस्कृत महाविद्यालय के छात्र तथा संस्कृत प्रेमियों की अग्रणी भूमिका है। उन्होंने हि प्र. विश्वविद्यालय द्वारा आरंभ किए गए नए पाठ्यक्रम भगवद्गीता में स्नातकोत्तर डिग्री से भी सभी प्रतिभागियों को अवगत करवाया। मनजीत शर्मा में अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है। 
हमें अपनी वैदिक संस्कृति का संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम में संस्कृत भाषा पढ़ने व पढ़ाने वाले सभी विद्वानों को बहुत 2 बधाई दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो केशव शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज समस्त भारत और कहीं-कहीं विदेश में भी संस्कृत दिवोत्सव मनाया जाता है। इस युग में संस्कृत का अपेक्षित विकास हो रहा है, जो संतोष का विषय है। उन्होंने इस कार्यक्रम के लिये भाषा एवं संस्कृति विभाग की सराहना की। उक्त कार्यक्रम के प्रथम दिन में विभाग के सहायक निदेशक सुरेश राणा , जिला भाषा अधिकारी अनिल हा्रटा , संतोष कुमार व दीपा कुमारी तथा नेहरू राजकीय संस्कृत महाविद्यालय फागली के प्राचार्य डॉ मुकेश कुमार शर्मा व अन्य सहायक प्राध्यापक भी उपस्थित रहे।

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