सड़क किनारे भूमि कटाव रोकने के लिए युवा संघर्ष समिति शिलाई ने किया पौधा रोपण 

बाजार से तहसील कार्यालय , पीडब्ल्यूडी विभाग व अन्य कई विभागों को जोड़ते वाली शिलाई गांव तक बनी पीडब्ल्यूडी सड़क पर बरसाती पानी से सड़क किनारे लगे कटाव के मलबे से सड़क किनारे खड़ी गाड़ियां तक दब जाती है। आलम यह है कि अधिकांश जगहों पर भूस्खलन की स्थिति बनी हुई है। कही पर भूस्खलन से निजी जमीनों सहित सड़क किनारे मलबे के ढेर लग जाते है

Sep 10, 2024 - 19:44
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सड़क किनारे भूमि कटाव रोकने के लिए युवा संघर्ष समिति शिलाई ने किया पौधा रोपण 
 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिलाई  10-09-2024
बाजार से तहसील कार्यालय , पीडब्ल्यूडी विभाग व अन्य कई विभागों को जोड़ते वाली शिलाई गांव तक बनी पीडब्ल्यूडी सड़क पर बरसाती पानी से सड़क किनारे लगे कटाव के मलबे से सड़क किनारे खड़ी गाड़ियां तक दब जाती है। आलम यह है कि अधिकांश जगहों पर भूस्खलन की स्थिति बनी हुई है। कही पर भूस्खलन से निजी जमीनों सहित सड़क किनारे मलबे के ढेर लग जाते है, युवा संघर्ष समिति शिलाई के सदस्यों द्वारा सड़क किनारे पौधरोपण किया , ताकि भूमि कटाव को रोका जा सके। युवा संघर्ष समिति के अध्यक्ष अक्षय तोमर ने बताया कि शिलाई गांव के लिए बनी सड़क पर बरसात के दौरान एकत्र पानी पहाड़ी के तीखे ढलान में कटाव लगा कर मलबे से कई जगहों पर सड़क बंद पड़ जाती है। 
संघर्ष समिति ने कटाव व भूस्खलन को रोकने के लिए सड़क किनारे शोआलू पौधरोपण किया। समिति के सदस्यों ने बताया कि नया रॉड के समीप एनएच 707 मार्ग तीखे ढलान में शुरू होती है। एनएच पर एकत्र पानी से तहसील कार्यालय , पीडब्ल्यूडी कार्यालय तक सड़क नदी का रूप धारण कर लेती है। आगे जाकर पानी की निकासी का सही से प्रावधान न होने पर पानी घासनियों में कटाव लगने से कैंचियों में बनी सड़क नीचे तक कई जगहों से मलबे से भर जाती है। मार्ग पर बरसाती नालों में छोटी छोटी पुलिया बनी हुई है जो हल्की सी बारिश में भी बंद पड़ जाती है। 
युवा संघर्ष समिति के सदस्यों ने पीडब्ल्यूडी के कार्य पर सवालिया निशान खड़े करते हुए बताया कि हर बरसात में एक ही प्रकार की समस्या से हो रहे नुकसान का कोई स्थायी समाधान नही कर पा रही है। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी विभाग को केवल भ्र्ष्टाचार की डीपीआर तैयार नही करनी चाहिए , बल्कि सड़को पर व्यवस्थित नालिया बरसात की पीनी की मात्रा के अनुसार बड़ी पुलिया बनाने जैसे समाधान निकालने होंगे, पहाड़ी क्षेत्र की भगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल डीपीआर तैयार करने की आवश्यकता है। 

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