किसानों के लिए कारगर सिद्ध होगी बरसाती प्याज की नई किस्म ,  वैज्ञानिक तरीके से करें बागवानी : डा.दीपा

औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी हमीरपुर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दीपा शर्मा ने कहा कि किसानों को वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करनी चाहिए , जिससे उनकी आय बढ़ सके और बागवानी के बेहतर परिणाम मिल सके। उन्होंने किसानों को बरसाती प्याज की पनीरी तैयार करने की भी सलाह दी। डॉ. दीपा शर्मा शुक्रवार को ग्राम पंचायत बारीं के तहत पंचायत समिति सभागार टौणी देवी में किसानों को एक दिवसीय विशेष जागरूकता शिविर में ऊंचे क्षेत्रों में बागवानी की जानकारी प्रदान की

Oct 27, 2023 - 19:11
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किसानों के लिए कारगर सिद्ध होगी बरसाती प्याज की नई किस्म ,  वैज्ञानिक तरीके से करें बागवानी : डा.दीपा

यंगवार्ता न्यूज़ - हमीरपुर  27-10-2023
औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी हमीरपुर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दीपा शर्मा ने कहा कि किसानों को वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करनी चाहिए , जिससे उनकी आय बढ़ सके और बागवानी के बेहतर परिणाम मिल सके। उन्होंने किसानों को बरसाती प्याज की पनीरी तैयार करने की भी सलाह दी। डॉ. दीपा शर्मा शुक्रवार को ग्राम पंचायत बारीं के तहत पंचायत समिति सभागार टौणी देवी में किसानों को एक दिवसीय विशेष जागरूकता शिविर में ऊंचे क्षेत्रों में बागवानी की जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि नेरी महाविद्यालय द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर शिविरों आयोजित किए जाते है, जिसमें नवीन जानकारियां उन्हें प्रदान की जाती हैं। 
उन्होंने कहा कि किसान खरीफ प्याज उत्पादन की ओर भी अधिक ध्यान दे।  इसकी नई बरसाती प्याज की किस्म तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि प्याज भारत की प्रमुख नकदी फसल है, यह हर दिन घर में प्रयोग होता है। इसके लिए लोगों को विशेष प्रयास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि खरीफ प्याज उत्पादन वर्ष भर प्याज की उपलब्धता एवं किसान की आय बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण विकल्प है। खरीफ प्याज की फसल अक्टूबर व नवंबर में तैयार हो जाती है, जो कि अक्टूबर मास में प्याज की आसमान छूती कीमतों को सामान्य बनाए रखने में सहायक होती है। उन्होंने बताया कि प्याज की पौध तैयार करने के लिए 3 मीटर लंबी, 1 मीटर चौड़ी तथा 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां बनाएं। दो क्यारियों में 30 से 40 सेंटीमीटर का अंतर रखें। 
क्यारी की सतह समतल व कंकड़ रहित होनी चाहिए। बीज बोने से पहले इसे थीरम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। इससे कमर तोड़ रोग का खतरा कम हो जाता है। बीज को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर एक कतार में मई जून में बोएं तथा इन्हें छनी हुई गोबर की खाद से ढक दें व हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में उपयुक्त नमी व तापमान बना रहे। बीज अंकुरण के बाद घास को तुरंत हटा दें। लगभग 6 से 7 सप्ताह में पौध प्रतिरोपण के लिए तैयार हो जाती है। इस तरह तैयार पौध की जुलाई मास में 15 बाई 10 सेंटीमीटर अंतर से रोपाई करनी चाहिए। पौधारोपण के बाद अन्य सस्य क्रियाएं जैसे सही खाद एवं उर्वरक, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण व संरक्षण इत्यादि अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। 
उन्होंने सब्जियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान महाविद्यालय के डॉ अजय बनयाल ने भी विस्तृत अभी जानकारी दी। उन्होंने आम , नींबू, संतरा व अन्य फलदार पौधे बारे में किसानों को जानकारी दी कि किस तरह से बागवानी को बढ़ावा जा सकता है। इसके लिए वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करना चाहिए।  उन्होंने किसानों को दवाइयां का छिड़काव सही मात्रा में करने का सुझाव दिया, जिससे फसल को इसका नुकसान न हो। इससे पूर्व बागवानी विकास अधिकारी  टौणी देवी डा जीना बन्याल ने विभागीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी तथा वैज्ञानिकों का इसमें भाग लेने के लिए धन्यवाद किया। 
उन्होंने बताया कि किसान उनके विभाग से संपर्क कर विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। इस दौरान खंड विकास अधिकारी एचआर अत्री भी मौजूद रहे। उन्होंने भी विभागीय योजना की जानकारी दी। ग्राम पंचायत बारी के प्रधान रविंद्र ठाकुर ने बागवानी विभाग की ओर से शिविर का आयोजन करने के लिए आभार जीता या और बताया कि शिविरों का आयोजन किसानों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होगा तथा आगामी दिनों में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम में तीन  दर्जन से अधिक लोगों ने भाग लिया।

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