पशुपालकों में घटता जा रहा है देसी गाय का प्रचलन,दूध के लालच में पशुपालक पहाड़ी गाय से बना रहे दूरी
जिला सिरमौर में पशुपालक देसी पहाड़ी गाय से लगातार दूध के लालच में दूरी बना रहे हैं। पशुपालकों का अन्य नस्लों की गाय के प्रति दूध के लालच में बढ़ता रुझान देखा जा रहा
देसी गाय प्राकृतिक खेती में भी है बेहद लाभदायक
प्राकृतिक खेती व हिम उन्नति योजना में देसी गाय का होना अनिवार्य
यंगवार्ता न्यूज़ - नाहन 22-11-2024
जिला सिरमौर में पशुपालक देसी पहाड़ी गाय से लगातार दूध के लालच में दूरी बना रहे हैं। पशुपालकों का अन्य नस्लों की गाय के प्रति दूध के लालच में बढ़ता रुझान देखा जा रहा है । जिसको लेकर कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं में डेरी फार्म के माध्यम से देसी गाय की प्रदर्शनी के जरिए पशुपालकों को देसी गाय के लाभ के बारे में जानकारी दी जाती है। ताकि लगातार घटता देसी गाय का पहाड़ी क्षेत्र में प्रचलन बढ़ाया जा सके ।
मीडिया से रूबरू हुई धौलाकुआं कृषि विज्ञान केंद्र की पशुपालन विशेषज्ञ डॉ हर्षिता सूद ने बताया कि यह सही है कि लगातार पशुपालकों में देसी गाय का प्रचलन घटता जा रहा है । लेकिन देसी गाय हमारी प्राकृतिक खेती के लिए बेहद लाभदायक है । सरकारी भी पशुपालकों को देसी गाय अपनाने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ दे रही है ।
देसी गाय का गोबर व मूत्र किसानों की भूमि के लिए बेहद औषधिय है मिट्टी में कई तरह के जलधारक एवं पोषक तत्वों को बढ़ाता है । मिट्टी में पाए जाने वाले केंचुए को बड़ी संख्या में बढ़ता हैं और भूमि में वायु का संचार सही रूप से करता है जो फसलों के लिए बेहद लाभदायक सिद्ध होता है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती व हिम उन्नति योजना में देसी गाय का होना अनिवार्य है। देसी गाय कठिन परिस्थितियों में भी आसानी से रहती है और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी ज्यादा होती है।
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