IGMC के अध्ययन में खुलासा : प्रदेश में 2.2 प्रतिशत महिलाएं हीमोग्लोबिनोपैथी नामक अनुवांशिक रक्त रोगों से पीड़ित
हिमाचल में 2.2 प्रतिशत महिलाएं हीमोग्लोबिनोपैथी नामक अनुवांशिक रक्त रोगों से पीड़ित हैं। प्रदेश की गर्भवती महिलाओं पर इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला में किए गए शोध में यह बात सामने आई

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 17-08-2025
हिमाचल में 2.2 प्रतिशत महिलाएं हीमोग्लोबिनोपैथी नामक अनुवांशिक रक्त रोगों से पीड़ित हैं। प्रदेश की गर्भवती महिलाओं पर इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला में किए गए शोध में यह बात सामने आई। शोध के बाद विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में सभी खून से जुड़ी जांच कराना बेहद जरूरी है।
समय रहते पहचान होने पर गंभीर आनुवंशिक बीमारियों को अगली पीढ़ी में जाने से रोका जा सकता है। यह अध्ययन आईजीएमसी के पैथोलॉजी विभाग में डॉ. सुदर्शन शर्मा और डॉ. पूजा मुरगई के मार्गदर्शन में जूनियर रेजिडेंट डॉ. उमेश ने किया है।
अगस्त 2024 से अप्रैल 2025 के बीच किए अध्ययन में 1,085 गर्भवतियों की जांच की गई। इसमें 2.2 प्रतिशत महिलाएं हीमोग्लोबिनोपैथी नामक अनुवांशिक रक्त रोग से पीड़ित थीं। इनमें 22 महिलाएं (2.1%) बीटा-थैलेसीमिया ट्रेट से पीड़ित थीं, एक महिला (0.1%) सिकल सेल ट्रेट से पीड़ित थीं और एक महिला (0.1%) में दुर्लभ बीटा-चेन वेरिएंट पाया गया।
सभी प्रभावित महिलाओं के पतियों की भी जांच की गई, लेकिन उनमें समस्या नहीं मिली। हीमोग्लोबिनोपैथी एक अनुवांशिक विकार है जिसमें खून में मौजूद हीमोग्लोबिन का निर्माण सही तरीके से नहीं होता।
हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है, और जब इसका निर्माण गड़बड़ा जाता है तो शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इससे एनीमिया, कमजोरी, थकान, चक्कर आना और गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास में समस्याएं हो सकती हैं।
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