न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 27-08-2025
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि युद्धों की बढ़ती जटिलता और अनिश्चितता के मौजूदा दौर में केवल सैनिकों या हथियारों की संख्या ही पर्याप्त नहीं है , बल्कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, रणनीति और युद्ध के स्वरूप के अनुरूप तुरंत उसका जवाब देने में सक्षम सेनाएं ही अपना लोहा मनवा सकेंगी। उन्होंने देश और सेनाओं को लंबी लड़ाइयों के लिए तैयार रहने तथा इसके लिए जरूरी क्षमता और संसाधनों की उपलब्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं बल्कि प्रौद्योगिकी, खुफिया जानकारी, अर्थव्यवस्था और कूटनीति के संयुक्त प्रयास पर निर्भर करेंगे। जो देश प्रौद्योगिकी, रणनीति और अनुकूलनशीलता के त्रिकोण में महारत हासिल कर लेगा वही सच्ची वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानवरहित यान और उपग्रह-आधारित निगरानी भी भविष्य के युद्धों को आकार दे रही हैं। राजनाथ सिंह ने बुधवार को यहां आर्मी वॉर कॉलेज में युद्ध, युद्ध नीति और युद्ध-संघर्ष पर तीनों सेनाओं के अपनी तरह के पहले सेमिनार ‘रण संवाद’ को संबोधित करते हुए प्रौद्योगिकी और चौंकाने वाली रणनीतियों के गठजोड़ को आधुनिक युद्ध की बढ़ती जटिलता तथा अनिश्चितता का मुख्य कारण बताया। उन्होंने नवाचारों और अप्रत्याशित चुनौतियों के लिए तैयार रहने की जरूरत पर बल देते हुए मौजूदा प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने पर भी जोर दिया ताकि समय के साथ आगे रहा जा सके। रक्षा मंत्री ने भविष्य के युद्धों की अनिश्चितता तथा निरंतर बदलते स्वरूप पर कहा , आधुनिक युद्ध अब जमीन , समुद्र और हवा तक ही सीमित नहीं रहे अब वे अंतरिक्ष और साइबरस्पेस तक भी फैल गए हैं। उपग्रह प्रणालियाँ, उपग्रह-रोधी हथियार और अंतरिक्ष कमान केंद्र शक्ति के नए साधन हैं।
आज हमें केवल रक्षात्मक तैयारी की ही नहीं, बल्कि एक सक्रिय रणनीति की भी आवश्यकता है। भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं होंगे, वे प्रौद्योगिकी, खुफिया जानकारी, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का संयुक्त प्रयास होंगे। जो राष्ट्र तकनीक, रणनीति और युद्ध के स्वरूप के अनुरूप ढलने के त्रिकोण में महारत हासिल कर लेगा, वही सच्ची वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा। ” उन्होंने कहा कि यह इतिहास से सीखने और एक नया इतिहास लिखने, भविष्य का अनुमान लगाने और उसे आकार देने का समय है। राजनाथ सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि सिर्फ़ सैनिकों की संख्या या हथियारों के भंडार का आकार अब पर्याप्त नहीं है, क्योंकि साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मानवरहित हवाई वाहन और उपग्रह-आधारित निगरानी भविष्य के युद्धों को आकार दे रहे हैं। उन्होंने सटीक निर्देशित हथियारों, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी और डेटा-संचालित सूचना को किसी भी संघर्ष में सफलता की आधारशिला बताया।
रक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि इसका कोई अंत नहीं है और यह अनिश्चितता युद्ध के परिणामों को बदलने की ताकत रखती है। उन्होंने कहा,“प्रौद्योगिकी इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है कि जब तक हम एक नवाचार को पूरी तरह से समझ पाते हैं, तब तक दूसरा उभर आता है – जो युद्ध की दिशा को पूरी तरह से बदल देता है। मानव रहित हवाई वाहन, हाइपरसोनिक मिसाइलें , साइबर हमले और एआई-संचालित निर्णय लेने जैसे उपकरण आधुनिक संघर्षों में अप्रत्याशित मोड़ ला रहे हैं। आश्चर्य के इस तत्व की सबसे खास बात यह है कि अब इसका कोई स्थायी रूप नहीं रहा। यह बदलता रहता है, हमेशा अपने साथ अनिश्चितता लेकर चलता है। और यही अनिश्चितता विरोधियों को उलझा देती है, और अक्सर युद्ध के परिणाम में निर्णायक कारक बन जाती है। राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को प्रौद्योगिकी संचालित युद्ध का असाधारण उदाहरण बताते हुए कहा कि इसमें भारत ने युद्ध का मैदान और उसके नियम तय किये तथा दुश्मन को उसके लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में जो भी देश युद्ध का मैदान तय करता है, वही खेल और उसके नियमों को नियंत्रित करता है, और दूसरों के पास अपनी पसंद के विपरीत शर्तों पर प्रतिक्रिया देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता।
उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास युद्ध के मैदान और खेल के नियमों को स्वयं निर्धारित करना होना चाहिए, जिससे विरोधी को वहां लड़ने के लिए मजबूर किया जा सके, ताकि बढ़त हमेशा हमारे पास रहे। राजनाथ सिंह ने युद्ध की अप्रत्याशित प्रकृति को देखते हुए घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्र हर स्थिति के लिए तैयार रहे। उन्होंने कहा,“ यदि कोई युद्ध दो महीने, चार महीने, एक साल, दो साल, यहाँ तक कि पांच साल तक भी चलता है, तो हमें पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी क्षमता पर्याप्त हो। रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा त्वरित और चौंकाने वाली कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी विरोधी ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। उन्होंने कहा ,“ ऑपरेशन सिंदूर ने आज के युग में सूचना और साइबर युद्ध के महत्व को उजागर किया। हमारी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि हमारी सूचना और साइबर अवसंरचना और भी मजबूत हो।
हमारी सेनाओं की एकजुटता और एकीकरण ने इस ऑपरेशन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमें संयुक्त रणनीतिक संचार को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। रक्षा मंत्री ने सेना के सभी जवानों को 2027 तक ड्रोन तकनीक से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करने के सेना प्रशिक्षण कमान के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह संकल्प निस्संदेह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने रुद्र ब्रिगेड, शक्तिबाण रेजिमेंट, दिव्यास्त्र बैटरी, ड्रोन प्लाटून और भैरव बटालियन के गठन की सेना की पहल की भी सराहना की और इस निर्णय को बदलते समय के अनुसार एक आवश्यक कदम बताया। रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को स्वदेशी प्लेटफार्मों, उपकरणों और हथियार प्रणालियों की सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया और कहा ,“ इस उपलब्धि ने इस बात को रेखांकित किया है कि आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज हमारे स्वदेशी उपकरण, हल्के लड़ाकू विमान तेजस, उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, आकाश मिसाइल सिस्टम और स्वदेशी विमानवाहक पोत दुनिया को यह संदेश दे रहे हैं कि भारत की तकनीक और गुणवत्ता अब विश्वस्तरीय मानकों पर खड़ी है।
यह आत्मविश्वास और मजबूती हमारे वैज्ञानिकों की बदौलत है। हम अपने देश में ही वे सभी उपकरण बना रहे हैं जिनका हम पहले आयात करते थे। हमने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाया है। हम भारत में ही जेट इंजन बनाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। राजनाथ सिंह ने हाल ही में घोषित ‘सुदर्शन चक्र’ मिशन को आत्मरक्षा के लिए सरकार का संकल्प बताते हुए कहा कि इसके अंतर्गत महत्वपूर्ण स्थानों को आधुनिक और स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक के कवच से सुरक्षित किया जाएगा। उन्होंने डीआरडीओ द्वारा एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली और एक उच्च शक्ति निर्देशित ऊर्जा हथियार के सफल प्रथम परीक्षण का विशेष उल्लेख किया और इन उपलब्धियों को पूरे राष्ट्र की सफलता बताया। रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस संवाद से उत्पन्न विचार और निष्कर्ष न केवल राष्ट्र की रक्षा रणनीति को सुदृढ़ करेंगे, बल्कि समग्र सुरक्षा ढांचे और उसके विकास पथ में दीर्घकालिक योगदान भी देंगे।