सात दिनों में जारी करें निशानदेही के मामलों के सम्मन , लेटलतीफी पर डीसी ने लगाई कानूनगो-पटवारी की क्लास 

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि निशानदेही राजस्व से जुड़े कार्य को लेकर अगर कोई व्यक्ति उपायुक्त कार्यालय पहुंचता है कि और यह कहता है कि फील्ड स्टाफ काम नहीं कर रहा है तो फील्ड स्टाफ के खिलाफ उसी समय करवाई अमल में लाई जाएगी। शिमला शहरी और ग्रामीण के बहुत से लोग रोजाना उपायुक्त के पास राजस्व कार्यों के सम्बन्ध में पहुंच रहे है

Dec 8, 2025 - 10:33
Dec 8, 2025 - 10:40
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सात दिनों में जारी करें निशानदेही के मामलों के सम्मन , लेटलतीफी पर डीसी ने लगाई कानूनगो-पटवारी की क्लास 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  08-12-2025

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि निशानदेही राजस्व से जुड़े कार्य को लेकर अगर कोई व्यक्ति उपायुक्त कार्यालय पहुंचता है कि और यह कहता है कि फील्ड स्टाफ काम नहीं कर रहा है तो फील्ड स्टाफ के खिलाफ उसी समय करवाई अमल में लाई जाएगी। शिमला शहरी और ग्रामीण के बहुत से लोग रोजाना उपायुक्त के पास राजस्व कार्यों के सम्बन्ध में पहुंच रहे है। उन्होंने दोनों एसडीएम को निर्देश दिए है कि एक हफ्ते के अंदर सारी लंबित फाइलों को निपटाएं। उन्होंने कहा कि कानूनगो और पटवारियों की लेटलतीफी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार राजस्व विभाग के कार्यों को तीव्रता से पूर्ण करने की दिशा में अनेकों कदम उठा चुकी है जिनका पालन करना सभी अधिकारियों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि अगले 7 दिनों में निशानदेही के मामलों में सम्मन की प्रक्रिया पूरी की जाए। उपायुक्त ने कहा कि राजस्व विभाग की छवि जनता के बीच में काफी खराब है। 
लोगों के काम समय पर न होने और बेवजह देरी के कारण लोगों का आक्रोश विभाग के खिलाफ काफी बढ़ रहा है। इस छवि को सुधारने के लिए सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। फील्ड स्टाफ का आमजन के साथ व्यवहार सही नहीं है। अभी तक उपायुक्त अनुपम कश्यप कुमारसैन, ठियोग, सुन्नी, शिमला शहरी और शिमला ग्रामीण में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो और पटवारियों के साथ राजस्व कार्यों को लेकर बैठक कर चुके है। इसी माह जिला के सभी उपमंडलों में इस तरह की बैठक आयोजित होनी है। फोरलेन के निर्माण के दौरान अवैध डंपिंग हो रही है लेकिन एक भी पटवारी ने सूचना नहीं दी है। लोगों के घरों को वो अवैध डंपिंग से खतरा पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि सभी पटवारी अपने-अपने क्षेत्र के लंबरदारों के नियुक्ति पत्र चेक करेंगे। अगर किसी के पास नियुक्ति पत्र नहीं है तो इसकी सूचना उपायुक्त कार्यालय को देनी होगी। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग की ओर से लोगों को मिली वित्तीय सहायता के लिए हर पटवारी को लाभार्थी तक जाना होगा। इसकी वेरिफिकेशन करना जरूरी है। उपायुक्त ने कहा कि हर पटवारी को एक महीने में अपने-अपने लंबरदारों और थाना प्रभारी या एसएचओ के साथ नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान को लेकर बैठक करना अनिवार्य है। 
एक महीने के भीतर सभी पटवारी इन बैठकों का आयोजन करेंगे। चिट्टा मुक्त हिमाचल प्रदेश सरकार के अभियान को धरातल पर उतारने में पटवारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस दौरान एडीएम प्रोटोकॉल ज्योति राणा, जिला राजस्व अधिकारी सुमेध शर्मा, एसडीएम शिमला ग्रामीण मंजीत शर्मा, एसडीएम शिमला शहरी ओशीन शर्मा सहित कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे। एसडीएम शहरी से बैठक में पूछा गया कि जब से उन्होंने कार्यभार संभाला है राजस्व विभाग के फील्ड स्टाफ के साथ कितनी बैठकें हुई है। इस पर एसडीएम ने कहा तीन बैठकें हुई है। उपायुक्त ने कहा लेकिन बैठकों की कार्यवाही के रिपोर्ट उपायुक्त कार्यालय को प्राप्त ही नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि भविष्य में हर बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट उपायुक्त कार्यालय को भेजना अनिवार्य है। फील्ड कानूनगो धामी बृजलाल से उपायुक्त ने निशानदेही के लंबित केस में जनवरी 2025 के बाद कोई भी सम्मन जारी न करने के बारे में कारण पूछा तो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।  उपायुक्त ने कहा कि 11 महीने तक एक सम्मन न निकलना मतलब विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है। 
उन्होंने नायब तहसीलदार को सख्ती से पूछा कि इस देरी के लिए इतने महीनों में कोई लिखित कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उपायुक्त ने निर्देश दिए कि शिमला ग्रामीण और शिमला शहरी में निशानदेही के लंबित मामलों के निपटारे के लिए ऑफिस कानूनगो फील्ड में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि जिला राजस्व अधिकारी सभी ऑफिस कानूनगो की ड्यूटी लगाएंगे। इसके बाद अगर कोई ऑफिस कानूनगो निशानदेही के लिए फील्ड में नहीं गया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बैठक में अधिकांश कानूनगो को जब अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के बारे में फैक्ट फिगर देने को कहा गया तो 90 फीसदी कानूनगो जवाब ही नहीं दे पाए। कानूनगो को अपने-अपने पटवार सर्कल के क्षेत्र के बारे में ही पता नहीं था। 
इसके अलावा सरकारी भूमि और सरकारी भवनों के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं थी। बैठक में बताया गया कि धारा 118 के तहत मिली अनुमति के बाद अगर किसी भी प्रकार की अवहेलना पाई जाती है या फिर कोई जानकारी विभाग से मांगी जाती है  तो 7 दिनों के अंदर रिपोर्ट भेजना अनिवार्य है। अगर कोई निर्धारित समय में जानकारी नहीं देगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई लाने के निर्देश उपायुक्त ने दिए। इसके अलावा पटवारी और कानूनगो धारा 118 के तहत मिली अनुमति का रिकॉर्ड बना कर रखें।

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