छात्रों के अंक समय पर न भेजने वाले स्कूलों को 500 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से देना होगा जुर्माना
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने छात्रों के व्यावहारिक और आंतरिक मूल्यांकन (आईएनए) अंक समय पर न भेजने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। अब ऐसी लापरवाही पर स्कूलों को 100 के बजाय 500 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से जुर्माना देना होगा

यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला 03-08-2025
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने छात्रों के व्यावहारिक और आंतरिक मूल्यांकन (आईएनए) अंक समय पर न भेजने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। अब ऐसी लापरवाही पर स्कूलों को 100 के बजाय 500 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से जुर्माना देना होगा।
बोर्ड ने यह फैसला हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड अधिनियम 1968 की धारा 19(3) के तहत दी गईं शक्तियों का प्रयोग करते हुए लिया है। बोर्ड का कहना है कि कई स्कूल निर्धारित समय सीमा के भीतर छात्रों के अंक बोर्ड को नहीं भेजते। इससे परीक्षा परिणाम समय पर जारी नहीं हो पाते। लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों की वजह से शिक्षा बोर्ड को परीक्षा परिणाम निकालने में भी असर पड़ रहा था।
बोर्ड सचिव डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने बताया कि कुछ प्रधानाचार्य, शिक्षक और स्कूल प्रमुख समय पर प्रैक्टिकल और आईएनए अंक नहीं भेजते। ऐसे में कई छात्रों का परिणाम आरएलडी (परिणाम देर से आना) या आरएलई (परिणाम देर से पात्रता) के रूप में घोषित करना पड़ता है। बाद में जब अंक मिलते हैं तो बोर्ड को अलग से प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है, जिससे अन्य कार्य प्रभावित होते हैं।
डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि अंतिम परिणाम तैयार करते समय पारदर्शिता बनाए रखने और समय पर परिणाम घोषित करने के लिए यह कदम जरूरी हो गया था। अब से अगर कोई स्कूल, अधिकारी, कर्मचारी, प्रधानाचार्य, संस्था प्रमुख और संबंधित शिक्षक तय समय पर छात्रों के अंक नहीं भेजता तो उसे 500 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से जुर्माना देना होगा।
हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग ने 18 अगस्त से लेकर 2 सितंबर तक सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी है। विधानसभा के मानसून सत्र के मद्देनजर उच्च और स्कूल शिक्षा निदेशालय ने शनिवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। विभागीय आदेशों के अनुसार अधिकारियों और कर्मचारियों को रविवार सहित अन्य छुट्टियों के दौरान भी दफ्तर बुलाया जा सकता है। सुबह 8 से रात 8 बजे तक अफसरों को दफ्तर में रहना अनिवार्य होगा।
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