प्रदेश हाईकोर्ट ने पारिवारिक पेंशन के लिए बेटियों के बीच भेदभाव करना असांविधानिक करार  

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पारिवारिक पेंशन के लिए बेटियों के बीच भेदभाव करना असांविधानिक करार दिया है। अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 समानता के सिद्धांत का उल्लंघन बताया है। कोर्ट ने अविवाहित बेटियों के लिए पारिवारिक पेंशन के अधिकार को सुनिश्चित किया

Jun 17, 2025 - 16:02
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प्रदेश हाईकोर्ट ने पारिवारिक पेंशन के लिए बेटियों के बीच भेदभाव करना असांविधानिक करार  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     17-06-2025

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पारिवारिक पेंशन के लिए बेटियों के बीच भेदभाव करना असांविधानिक करार दिया है। अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 समानता के सिद्धांत का उल्लंघन बताया है। कोर्ट ने अविवाहित बेटियों के लिए पारिवारिक पेंशन के अधिकार को सुनिश्चित किया है। 

खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता 19 अक्तूबर 2014 से बकाया पेंशन की हकदार होंगी। अदालत ने प्रतिवादियों को 31 जुलाई तक सभी औपचारिकताएं पूरी कर अगस्त से याचिकाकर्ता को नियमित पारिवारिक पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

अदालत ने कहा कि अगर बकाया राशि का भुगतान 31 अक्तूबर तक नहीं किया गया तो याचिकाकर्ता 6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज की भी हकदार होंगी, जो देय होने की तारीख से अंतिम भुगतान तक लागू होगा। 

न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखते हुए पेंशन की बकाया की अवधि में आवश्यक संशोधन किए हैं। विधानसभा सचिवालय की ओर से एकल जज के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी गई थी। खंडपीठ ने टिप्पणी की कि ऐसी कोई तर्कसंगत भिन्नता या मानदंड नहीं है। 

जिसके आधार पर 1 जनवरी 2006 से पहले या बाद में सेवानिवृत्त या मृतक सरकारी कर्मचारियों की अविवाहित बेटियों के बीच भेदभाव किया जा सके। अदालत ने सभी अविवाहित बेटियां को जो निर्धारित मानदंड पूरा करती हैं, उन्हें एक समान वर्ग का हिस्सा माना है।

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