बध्यात से बरमाणा तक 11.1 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक के लिए करीब 533 बीघा निजी भूमि का किया अधिग्रहण 

बहुप्रतीक्षित भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल परियोजना का अंतिम चरण बजट और सरकारी मंजूरी के अभाव में अधर में लटका हुआ है। बध्यात से बरमाणा तक 11.1 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक के लिए करीब 533 बीघा निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाना

Jul 31, 2025 - 11:30
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बध्यात से बरमाणा तक 11.1 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक के लिए करीब 533 बीघा निजी भूमि का किया अधिग्रहण 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    31-07-2025

बहुप्रतीक्षित भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल परियोजना का अंतिम चरण बजट और सरकारी मंजूरी के अभाव में अधर में लटका हुआ है। बध्यात से बरमाणा तक 11.1 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक के लिए करीब 533 बीघा निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, लेकिन इस प्रक्रिया को तीन साल से अधिक समय हो गया है और अब तक सरकार की ओर से कोई अंतिम स्वीकृति नहीं मिली है। 

रेल विकास निगम ने भानुपल्ली से बिलासपुर तक इस परियोजना को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं, बिलासपुर तक परियोजना के निर्माण का रास्ता पूरी तरह से साफ भी है, लेकिन बध्यात से आगे बरमाणा तक अब तक केवल वन विभाग की भूमि ही रेलवे के नाम हुई है जबकि निजी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तीन साल से आगे नहीं बढ़ी है।

प्रशासन ने सोशल इंपेक्ट असेसमेंट के बाद सरकार को भूमि अधिग्रहण की फाइल मंजूरी के लिए भेजी है, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस देरी के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि भूमि अधिग्रहण की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य के बीच फंसी हुई है। चूंकि यह परियोजना केंद्र की है, इसलिए भूमि अधिग्रहण की लागत कौन वहन करेगा, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। 

शुरुआत में भानुपल्ली से बिलासपुर रेल लाइन की अनुमानित लागत 4,200 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन देरी और वर्ष 2020 में निर्माण सामग्री की कीमतें बढ़ने समेत अन्य कारणों से लागत सात हजार करोड़ तक पहुंच गई है।

अब एक बार फिर से बिलासपुर तक परियोजना की संशोधित अनुमानित लागत तैयार कर केंद्र को भेजी गई है। यह आंकड़ा 13 हजार करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है। बिलासपुर तक का प्रस्ताव अभी भी केंद्र सरकार के पास लंबित है। इसको रिव्यू किया जा रहा है। 

रिव्यू के बाद तय किया जाएगा कि संशोधित प्राक्कलन की अनुमानित लागत को कम करना संभव है या नहीं, उसी आधार पर इसे मंजूरी मिलेगी। रेल विकास निगम के अधिकारियों के अनुसार अगर परियोजना का निर्माण और दो साल देरी से शुरू होता है तो अनुमानित लागत में एक हजार करोड़ से ज्यादा की बढ़ोतरी होगी। 

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