मस्कूलर डिस्ट्राफी से पीडि़त लोगों के लिए वरदान बना मानव मंदिर

मस्कूलर डिस्ट्राफी का अभी तक दुनिया में कोई उपचार नहीं है और यह कैंसर या पोलियो जैसी बीमारी भी नहीं है। मस्कूलर डिस्ट्राफी मांसपेशियों का रोग है जो निरंतर बढ़ता जाता है। इसे केवल फीजियो थैरेपी और हाइड्रोथैरेपी के माध्यम से रोका जा सकता है

Nov 4, 2023 - 20:17
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मस्कूलर डिस्ट्राफी से पीडि़त लोगों के लिए वरदान बना मानव मंदिर

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन    04-11-2023

इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (आईएमडी) मानव मंदिर  सोलन सही मायने में मानवता की सेवा कर रहा है। यह गैर सरकारी मस्कूलर डिस्ट्राफी से ग्रस्त लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यहां देश ही नहीं अब विदेश से भी लोग अपने उपचार के लिए सोलन का रूख कर रहे हैं। 

मस्कूलर डिस्ट्राफी का अभी तक दुनिया में कोई उपचार नहीं है और यह कैंसर या पोलियो जैसी बीमारी भी नहीं है। मस्कूलर डिस्ट्राफी मांसपेशियों का रोग है जो निरंतर बढ़ता जाता है। इसे केवल फीजियो थैरेपी और हाइड्रोथैरेपी के माध्यम से रोका जा सकता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी देशभर में हजारों लोगों को प्रभावित करती है, जिससे महत्वपूर्ण शारीरिक चुनौतियां होती हैं और उनके दैनिक जीवन पर असर पड़ता है। 

इस दुर्बल स्थिति से प्रभावित लोगों का समर्थन करने के प्रयास में आईएमडी सोलन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोगियों के लिए व्यापक देखभाल, सहायता और वल्र्ड क्लास की थैरेपी मुहैया करवा रहा है। यह संगठन सोलन में 1992 से लेकर इस तरह के रोगियों की सेवा को समर्पित है।
  
इंडियन एसोसिएशन ऑफ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सोलन के महासचिव विपुल गोयल ने बताया कि कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के सिंद्ध प्रांत से एक हिन्दू परिवार का बालक जो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से ग्रस्त है, उसके अभिभावक उसे यहां लेकर आए। यहां पहुंचने पर रौनक ने बताया कि वह सोलन के जाने-माने यू-ट्यूबर  साहिल राणा का फैन है और उससे मिलना चाहता है। 

विपुल गोयल और  उनकी टीम ने साहिल राणा को खोजा और उन्हें मानव मंदिर बुलाया। साहिल राणा ने भी अपने पाकिस्तानी फैन को निराश नहीं किया। वह मानव मंदिर पहुंचे। रौनक के लिए ढेर सारे गिफ्ट्स लाए और उसके साथ समय बिताया। इससे रौनक के चेहरे की रौनक देखते ही बनती थी। 

इसके बाद सोलन में दादा चेला राम आश्रम के संत से भी संपर्क किया, यह सिंधी लोगों का आश्रम है और जो पाकिस्तान से आए थे, वह भी सिंधी थे। उनसे मिलवाया और बातचीत की तो वह भी दूर के रिश्तेदार निकले। रौनक ने कहा कि वह दोबारा सोलन आना चाहते हैं।

आईएएमडी अध्यक्ष संजना गोयल ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के क्षेत्र में आईएएमडी  लगातार पीडि़त मानवता की सेवा कर रहा है। केंद्र  ने इस बीमारी से ग्रस्त रोगियों के लिए शैड्यूल तैयार किए हैं।  इसमें उन्हें फिजियोथैरेपी हाइड्रोथैरेपी ऑक्यूपेशनल थैरेपी और जेनेटिक काउंसलिंग भी दी जाती है। 

आईएएमडी मानव मंदिर केंद्र के मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से प्रभावित व्यक्तियों को व्यापक सहायता प्रदान करना और उनमें जीने की चाह जागृत करना वास्तव में प्रेरणादायक है ताकि  मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीडि़त व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकें।

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