हिमाचल प्रदेश में अब कॉफी के पौधे भी बिखेरेंगे अपनी महक, ट्रायल सफल    

सेब के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश में अब कॉफी के पौधे भी अपनी महक बिखेरेंगे। पूर्व इंडियन कॉफी बोर्ड के सदस्य डॉ. विक्रम शर्मा ने अपने गृह क्षेत्र घुमारवीं में कॉफी उगाने का सफल ट्रायल

Jul 23, 2023 - 16:11
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हिमाचल प्रदेश में अब कॉफी के पौधे भी बिखेरेंगे अपनी महक, ट्रायल सफल    

यंगवार्ता न्यूज़ - बिलासपुर    23-07-2023

सेब के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश में अब कॉफी के पौधे भी अपनी महक बिखेरेंगे। पूर्व इंडियन कॉफी बोर्ड के सदस्य डॉ. विक्रम शर्मा ने अपने गृह क्षेत्र घुमारवीं में कॉफी उगाने का सफल ट्रायल किया है। उन्होंने चंद्रागिरी नामक किस्म का सफल ट्रायल किया है। 

इसके साथ ही वह क्षेत्र में मसालों के उत्पादन को भी बढ़ावा दे रहे हैं। उत्तर भारत में कॉफी का उत्पादन बड़े स्तर पर नहीं होता है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए यहां की जलवायु अधिक अनुकूल नहीं है। 

इसके बावजूद बिलासपुर के डॉ. विक्रम ने चंद्रागिरी किस्म का सफल ट्रायल कर दिखाया है। उन्होंने बताया कि वह 1998 में चिकमंगलूर से कॉफी के तीन किस्म के बीज लाए थे। इसमें चंद्रागिरी, एस-9, एस-11 शामिल हैं। इसके बाद अपने गांव पलसोटी में इसकी खेती शुरू की। इसमें में चंद्रागिरी किस्म का ट्रायल सफल हुआ है। 

यह एक बेहतरीन किस्म का पौधा है। उन्होंने इसके अभी करीब 150 पौधे लगाए हैं। यह किस्म प्रदेश के अन्य जिलों भी सफल होगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह छायादार वातावरण में कामयाब है। 

छाया में इसकी खेती होने से इसके साथ अन्य फसलों की खेती की जा सकती है। इसमें सबसे अधिक हींग, पिस्ता और दालचीनी की खेती हो सकती है। साथ ही फलदार पौधों के बीच इसे उगाया जा सकता है। इसके लिए अच्छा तापमान 10 से 35 डिग्री होता है। साथ ही यह कोहरे की मार को झेल सकता है।

सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी प्रकार के स्प्रे या कीटनाशक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह पौधे 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इस कारण यह पर्यावरण के लिए और लाभकारी है। उन्होंने बताया कि शुरू में जब अन्य कृषि विशेषज्ञों और उच्च अधिकारियों से इस बारे में काम करने का कहा तो उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में इसकी अधिक संभावनाएं नहीं हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। 

प्रदेश में कॉफी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। दक्षिण भारत में कॉफी उत्पादन भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में बड़े स्तर पर कॉफी उत्पादन किया जाता है। यही कारण है कि भारत एशिया में इसके उत्पादन और निर्यात में तीसरे स्थान पर है। 

इसके उत्पादन के लिए कार्बनिक पदार्थ युक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है, जो इन राज्यों में पाई जाती है। भारत से निर्यात होने वाली कॉफी को उच्च गुणवत्ता की माना जाता है। इसमें अरेबिका, केंट, एस-795, बाबाबुदन गिरी, रोबेस्टा, कावेरी और वायनाड रोबस्टा कॉफी किस्म शामिल है।

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