हिमाचल सुनिश्चित करने के लिए विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर जोर : सीएम 

राज्य में वर्ष 2023 से 2025 में जलवायु परिवर्तन और आपदा जैसी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए वनों के संरक्षण के लिए ग्राम वन प्रबंधन समितियों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर ये समितियां काम करेंगी

Sep 18, 2025 - 19:42
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हिमाचल सुनिश्चित करने के लिए विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर जोर : सीएम 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   18-09-2025

राज्य में वर्ष 2023 से 2025 में जलवायु परिवर्तन और आपदा जैसी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए वनों के संरक्षण के लिए ग्राम वन प्रबंधन समितियों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर ये समितियां काम करेंगी और उनके प्रयासों के लिए उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। 

प्रदेश सरकार वन विभाग में कर्मचारियों की कमी दूर करने और वनों की रक्षा में मदद करने के लिए वन मित्रों की नियुक्ति कर रही है।  मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने युवाओं से वनों के संरक्षण के आंदोलन में सक्रिय भाग लेने का आह्वान किया है। उन्होंने भावी पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, समृद्ध और हरित हिमाचल सुनिश्चित करने के लिए विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर जोर दिया है। 

हिमाचल प्रदेश को हरित और स्वच्छ राज्य बनाने के लिए पिछले लगभग ढाई वर्षों के दौरान कई पहल की गई हैं, जिनका उद्देश्य पर्यावरण प्रबंधन की प्रभावशीलता में सुधार, कमजोर पारिस्थितिक तंत्रों की रक्षा और विकास की स्थिरता को बढ़ाना है। मुख्यमंत्री ने सोलन जिले की नालागढ़ तहसील के दभोटा में उत्तर भारत के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की आधारशिला रखी है। 

पिछले कुछ समय से सौर ऊर्जा के दोहन की ओर रुझान बढ़ा है। 325 मेगावाट सौर परियोजनाओं के दोहन के लिए सर्वेक्षण चल रहे हैं, और इस वर्ष की शुरुआत में 72 मेगावाट की कुल क्षमता वाली सात परियोजनाएं कंपनियों को आवंटित की गई हैं। राज्य 200 किलोवाट क्षमता वाले सौर संयंत्र स्थापित करके 200 हरित पंचायतें विकसित कर रहा है। 

हरित गलियारों का निर्माण, कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों की तुलना में ई-वाहनों का उपयोग, ग्रीन स्कूल कार्यक्रम आदि हरित ऊर्जा राज्य के सपने को साकार करने के लिए की गई कई प्रमुख पहल हैं। मुख्यमंत्री ने स्कूली छात्रों को 60 हज़ार स्टेनलेस स्टील की पानी की बोतलें वितरित करने की घोषणा की है, ताकि वे प्लास्टिक की पानी की बोतलों के इस्तेमाल से बच सकें। 

प्लास्टिक के उपयोग से संबंधित नियमों को काफी सख़्त बना दिया गया है। गैर-पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक कचरे के सह-प्रसंस्करण और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करने के लिए सीमेंट संयंत्रों के साथ समझौते किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के अंतर्गत वनरोपण के उद्देश्य से 2025-26 की वार्षिक संचालन योजना के लिए 143.35 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। 

मुख्यमंत्री का कहना है कि प्लास्टिक चैलेंजिंग मोबाइल ऐप पर्यावरण कानूनों के डिजिटल प्रवर्तन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस ऐप के ज़रिए, 13 विभागों के अधिकारी अब अपने मोबाइल उपकरणों के ज़रिए सीधे चालान जारी कर सकेंगे। 

इससे कागज़-आधारित प्रक्रियाओं की ज़रूरत खत्म हो जाएगी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय स्तर पर एकीकृत, सतत विकास को बढ़ावा देने और इको-विलेज के विकास में सहयोग के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।

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