जनता को दी सुविधाएं मुख्यमंत्री को लगती है सरकारी ख़ज़ाने की लूट : जयराम ठाकुर

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के उस बयान को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी खज़ाना लूटने नहीं देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये बहुत हास्यास्पद बात है कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि राजनीतिक लाभ के लिए वे सरकारी ख़ज़ाने को लुटने नहीं देंगे

Aug 23, 2024 - 19:26
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जनता को दी सुविधाएं मुख्यमंत्री को लगती है सरकारी ख़ज़ाने की लूट : जयराम ठाकुर

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी  23-08-2024
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के उस बयान को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे राजनीतिक लाभ के लिए सरकारी खज़ाना लूटने नहीं देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये बहुत हास्यास्पद बात है कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि राजनीतिक लाभ के लिए वे सरकारी ख़ज़ाने को लुटने नहीं देंगे। ऐसे में हम पूछना चाहते हैं कि तो क्या हिम केयर से इलाज और सहारा जैसी योजना को वह लूट मानते हैं? क्या गांव देहात के गरीब परिवारों को फ्री पानी पिलाने को भी वह लूट मानते हैं। 
पूरे देश को बिजली पैदा कर देने वाले राज्य में गरीब परिवारों के घर में बिना बिल के दो लट्टू जलने को भी क्या लूट मानते हैं? माताओं बहनों को कहीं आने जाने के लिए किराए में छूट देना भी वे क्या लूट मानते हैं? क्या युवाओं को रोज़गार देना लूट है। किसानों बागवानों को सब्सिडी देना भी लूट है ? उनकी बातों से लगता है कि शायद उन्हें  एक कल्याणकारी राज्य की परिभाषा ही मालूम नहीं है। उन्होंने सवाल दागा कि क्या सरकार का काम सिर्फ़ जनता पर एक तरफ़ा टैक्स थोपना है। जो पैसा टैक्स के रूप में जनता से सरकार एकत्रित करती है उसे जनता पर खर्चना क्या लूट है। 
अगर ऐसा है तो वे प्रदेश को यह भी बताएँ कि आपकी सरकार में आपके इतने सलाहकारों की फ़ौज क्यों तैनात है। गैर संवैधानिक तरीक़े से सीपीएस की नियुक्ति कर मंत्रियों के बराबर सुविधायें क्यों दे रखी है। मित्रों को एडजेस्ट करने के लिए कैबिनेट रैंक रेवड़ियों की तरह क्यों बांटे जा रहे हैं। मंत्रियों और सीपीएस के आगे पीछे अनाधिकृत पुलिस की गाड़ियों का क़ाफ़िला क्यों दौड़ा रहे हैं। क्यों मंत्रियो के लिए नए सचिवालय में कार्यालय पर लाखों रुपए अतिरिक्त ख़र्चा करवाया गया। 
इस सवालों का जबाब उन्हें देना ही होगा। आज जब कर्मचारी अपने हकों के लिए आवाज उठा रहे हैं तो एक आध मंत्री को आगे कर मुख्यमंत्री छुप गए हैं। जब कर्मचारी नेताओं ने फिजूलखर्ची पर सवाल उठाए तो उनके मुंह में दही जम गया है। उन्होंने कहा कि एक मंत्री का कर्मचारियों को हड़काना और उन्हें दबाब डालने की कोशिश करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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