पांवटा साहिब में छठ पूजा की धूम,यमुना घाट में हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

आज छठ पर्व है। छठ महापर्व का तीसरा दिन काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सूर्यास्त पर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व कठिन व्रत में से एक माना जाता है। दरअसल पांवटा साहिब में छठ पूजा बड़े धूमधाम से हर वर्ष मनाई जाती

Nov 7, 2024 - 19:12
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पांवटा साहिब में छठ पूजा की धूम,यमुना घाट में हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब    07-11-2024

आज छठ पर्व है। छठ महापर्व का तीसरा दिन काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सूर्यास्त पर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व कठिन व्रत में से एक माना जाता है। दरअसल पांवटा साहिब में छठ पूजा बड़े धूमधाम से हर वर्ष मनाई जाती है इस वर्ष भी आज के दिन भारी संख्या में श्रद्धालु मां यमुना घाट पर पहुंचे और विधि विधान से पूजा पाठ की।

बृहस्पतिवार को शाम तकरीबन 4:00 से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था मौके पर मिले श्रद्धालुओं ने बताया कि पांवटा साहिब के विभिन्न इलाकों से दूर-दूर से महिला व्रती पैदल ही यमुना घाट पहुंची। पैदल जाने वाली महिलाएं छठी माई की गीत गाते हुए यमुना किनारे पहुंच रही थीं।

छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है। इसके दूसरे दिन खरना पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रती महिलाएं मिट्टी का नया चूल्हा बनाती हैं। गुड़ और चावल की खीर का प्रसाद बनाती हैं। इसके बाद खरना पूजा होती है और छठी मैया को प्रसाद का भोग अर्पित किया जाता है। 

इस प्रसाद को व्रती महिलाएं ग्रहण करती हैं और परिवार के सदस्यों में प्रसाद का वितरण किया जाता है। इसके बाद से निर्जला व्रत शुरू होता है। इसके अगले दिन व्रत किया जाता है और डूबते हुए सूर्य को विधिपूर्वक अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। 

छठ पूजा पर सबसे महत्वपूर्ण दिन तीसरा होता है। इस दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है। 

08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।  द्रिक पंचांग के अनुसार उषा अर्घ्य समय: 08 नवंबर 2024 की सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक होगा। इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है। अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।

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